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मंदसौर

वर्ष 1977 में देखी थी शिवना नदी, अब तो नाला नजर आती है…

वर्ष 1977 में देखी थी शिवना नदी, अब तो नाला नजर आती है…

मंदसौरSep 12, 2018 / 03:05 pm

harinath dwivedi

patrika

वर्ष 1977 में देखी थी शिवना नदी, अब तो नाला नजर आती है…

मंदसौर.
वर्ष 1977 में जब मैं मंदसौर आया था तो शिवना का रूप काफी अच्छा और निखरा हुआ था। बहती हुई नदी हुआ करती थी शिवना। आज उसी शिवना नदी को देखता हूं तो लगता है नदी कैसे समय के साथ नाले में बदल गई है। कभी मंदसौर की लाइफ लाइन रही शिवना नदी आज शून्य होती जा रही है। वर्ष 77 के बाद से कई राजनेता मंदसौर में आए और गए परंतु किसी ने भी अपने प्रयासों से शिवना के लिए कोई कार्य नहीं किया। ये एक राजनेतिक ताकत की कमी है कि आज भी शिवना अपने रूप के लिए इंतजार कर रही है। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 12 करोड़ रुपए शिवना के स्वरूप को निखारने के लिए दिए हैं, परंतु अब तक शिवना के रूप कोई निखार नहीं आया है। शिवना के रूप को निखारना है तो सबसे पहले विभिन्न फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल को शिवना में मिलने से रोकना होगा। इसके साथ ही मंदसौर से बड़े शहरों के लिए ऐसी कोई ट्रेन नहीं है जो कि मंदसौर के लोगों के लिए सुविधाजनक हो। ब्रॉडगेज प्रारंभ होने के बाद भी सुविधा न मिल पाना मंदसौर की राजनैतिक रूतबे की कमी को दर्शाता है। इंदौर, बेंगलूरू, दिल्ली जैसे बड़े शहरों के लिए कनेक्टिविटी नहीं है। यह समस्या भी लंबे से बरकरार है और क्षेत्र से चुने गए जनप्रतिनिधि इन समस्याओं की ओर कोई सफल प्रयास नहीं कर सके। इसके साथ ही एक मुद़्दा और है जिसके कारण कई लोगों को परेशान होना पड़ता है और वह है चिकित्सा सुविधाओं का अभाव। एक समय था जब मंदसौर में मेडिकल कॉलेज प्रारंभ किए की चर्चा चल रही थी। पांच सौ बेड का अस्पताल होने के बाद भी यहां कोई सुविधा नहीं है। मेडिकल कॉलेज जो कभी मंदसौर में प्रारंभ होने वाला था, वह रतलाम को मिल गया। आज किसी भी परिस्थिति में मरीजों को अहमदाबाद, इंदौर रैफर किया जाता है क्योंकि यहां कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। हमारे जनप्रतिनिधि आम जन से जुड़ी इस समस्या को भी दूर करने में नाकाम ही रहे हैं।
– डॉ. महेशचंद्र शर्मा, सेवानिवृत्त चिकित्सक, मंदसौर
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प्रोफाईल
– नाम- डॉ. महेशचंद्र शर्मा
– जन्मतिथि- 4 मई 1952
– शिक्षा- बीएमएस, एमबीए
– 36 वर्षों जिला चिकित्सालय में सेवा कार्य

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