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मंदसौर

पीली पड़ गई सोयाबीन फसलें, महंगी कीटनाशक भी नहीं कर रही असर

पीली पड़ गई सोयाबीन फसलें, महंगी कीटनाशक भी नहीं कर रही असर

मंदसौरSep 16, 2018 / 02:46 pm

harinath dwivedi

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पीली पड़ गई सोयाबीन फसलें, महंगी कीटनाशक भी नहीं कर रही असर

 

मंदसौर.
इन दिनों सोयाबीन की फसलों पर कीटों का प्रकोप है। कहीं- कहीं कीटो का अधिक प्रकोप होने से सोयाबीन फसल के पत्ते हरे से पूरे पीले हो गए है। उन पर ना तो कीटनाशक दवा असर कर रही है और नहीं अन्य कोई उपाय। ऐसे में किसान चिंतित हो गए है, खराब फसल के सर्वे के लिए अब वे प्रशासन से बीमा व मुआवजा राशि की मांग कर रहे है। जिले के सुवासरा, गरोठ, भानपुरा, मंदसौर सहित कई कई स्थानों पर इस संबंध में किसानों द्वारा ज्ञापन भी दिए गए है। हालांकि कृषि विभाग अभी भी फसलों की स्थिति बेहतर ही बता रहा है। वहीं कृषि वैज्ञानिक इसके अलग- अलग कारण बताकर कम नुकसान ही होने की बात कर रहे है। बाजखेड़ी, अरनिया निजामुद्दीन, पानपुर, डिगांव आसपास के सभी गांव में सोयाबीन की फसल पर पीले मोजेक का यह वायरस पूरी तरह से फैल गया है। इस पर कोई भी दवाई असर नहीं कर रही है। किसानों का कहना है कि अब तक ना तो कृषि विभाग वाले और ना ही राजस्व विभाग ने फसलों का निरीक्षण किया है। सोयाबीन की फसल में इस बीमारी की वजह से कम पैदावार की उम्मीद है।

– डिगांवमाली के मानसिंह आंजना ने कहा कि फसल पूरी तरह से बीमारी में आ गई है हमने सोयाबीन की फसल में हजारों रूपए की दवाई का छिडक़ाव कर दिया है फिर भी कोई फर्क नहीं पड़ा। सरकार को चाहिए कि किसानों की फसल का सर्वे कराकर उचित से उचित मुआवजा दे।

– पानपुर के किसान अशोक बंजारा ने कहा कि सोयाबीन की फसल पूरी तरह से पीले मोजेक की बीमारी में आ गई है। जहां एक बीघे में 3 से 4 क्विंटल उत्पादन होता है, वह अब एक क्विंटल ही होगा। इसका सर्वे हो जाए तो किसानों को फायदा मिलेगा।

मौसम में आद्र्रता के कारण बढ़ सकता है कीटो का प्रकोप
मौसम में आद्र्रता के कारण फसलों में विभिन्न प्रकार की फफूंदजनित बीमारियां एवं सोयाबीन की फसलों में कीटों के प्रकोप होने की संभावना है। कृषि विभाग के उप संचालक एके राठौर ने बताया कि किसान सोयाबीन की फसल में एंथ्रेकनोज एवं पॉडब्लाईट के नियंत्रण के लिए थायोफिनाईट मिथाईल 1 किग्रा प्रति हेक्टेयर अथवा टेबूकोनाझोल 625 एमएल प्रति हेक्टेयर या टेबूकोनाझोल़ सल्फर 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या हेक्झाकोनाझोल 500 एमएल प्रति हेक्टेयर में मिलाकर छिडक़ाव करें।


लाल मकड़ी व पत्ती खाने वाली इल्ली के लिए यह करें उपाय
सोयाबीन की फसल पर लाल मकड़ी के नियंत्रण के लिए ईथियान 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी के साथ छिडक़ाव करें। सोयाबीन की फसल पर चने की इल्ली, सेमीलूपर तंबाकू की इल्ली एवं सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथाक्सम़ लेम्बड़ा सायहेलोथ्रिन 125 एमएल प्रति हेक्टेयर अथवा बीटासायफ्लुथ्रिऩ इमिडाक्लोप्रिड 330 एमएल प्रति हेक्टेयर के मान से छिडक़ाव करें। जिन किसानों की सोयाबीन की फसल में केवल पत्ती खाने वाली इल्लियों का प्रकोप है वे वहां पर इंडोक्साकार्ब 330 एमएल प्रति हेक्टेयर अथवा क्यूनालफॉस 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर अथवा फ्लूबेंडियामाईड 150 एमएल प्रति हेक्टेयर में छिडक़ाव करें।


पीला मोजेक बीमारी की सफेद मक्खी के वयस्क को करें नष्ट
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि जिन किसानों की सोयाबीन की फसलों पर गर्डल बिटल का प्रकोप शुरू हो गया हो, वहां पर थाइक्लोप्रिड 21.7 एससी 650 एमएल प्रति हेक्टेयर अथवा ट्राइजोफॉस 40 ईसी 800 एमएल प्रति हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें। फसल की सतत निगरानी करते हुए किसान तंबाकू की इल्ली अथवा बिहार की रोएंदार इल्ली के समूह द्वारा ग्रसित पत्तियों या पौधों को पहचान कर नष्ट करें। पीला मोजाइक बीमारी को फैलाने वाली सफेद मक्खी के प्रबंधन के लिए खेत में यलो स्टिकी ट्रेप का प्रयोग करें, इससे मक्खी के वयस्क नष्ट किए जा सकें। पीला मोजाइक रोग से ग्रसित पौधों को किसान अपने खेत से निकालकर नष्ट कर दें। इससे रोग को फैलने से रोकने में सहायता होगी।


तहसीलदार का कहना…
जहां भी फसलें खराब स्थिति में है वहां सर्वे करने के लिए कृषि विभाग से चर्चा की है। कृषि विभाग जब भी टीम गठित करेगा, राजस्व टीम भी इस दौरान साथ रहकर फसलोंं का सर्वे कार्य करेगी। किसानो को उचित मुआवजा व बीमा का लाभ देने के लिए उच्चाधिकारियों से चर्चा की गई है।
– ब्रम्हस्वरुप श्रीवास्तव, तहसीलदार, मंदसौर
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