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मंदसौर

सोयाबीन में बढ़ते रोग ने किसानों के साथ विभाग की बढ़ाई चिंता

वैज्ञानिको को साथ लेकर खेतों पर पहुंचे अफसर

मंदसौरSep 05, 2018 / 08:54 pm

harinath dwivedi

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सोयाबीन में बढ़ते रोग ने किसानों के साथ विभाग की बढ़ाई चिंता

मंदसौर । फसलों की जरुरत के हिसाब से हुई बारिश के बाद फसल भले ही बढिय़ा हो और किसान उम्मीद लगाए बैठे हो लेकिन पीली पढ़ती सोयाबीन और बढ़ते रोग के कारण किसानों की बंपर उत्पादन की उम्मीदों को धक्का लगा है।जिले में पीला सोना कहे जाने वाली सोयाबीन की फसल पर सफेद मक्खी आर पीला मौजक का खतरा मंडरा रहा है। कई गांवों में किसानों की सोयाबीन को यह रोग प्रभावित कर रहा है। सोयाबीन में बढ़ते रोग और किसानों की शिकायतों के बाद अब विभागीय टीम कृषि वैज्ञानिको के साथ गांवों में इसकी वजन तलाशने के लिए पहुंच रही है। हवा के साथ फैल रहे इस रोग ने किसानों के साथ विभाग की चिंता भी बढ़ा दी है। वैज्ञानिक व कृषि विभाग के अफसर गांवों में खेतों तक पहुंच रहे है। इस रोग से बड़े पैमानें पर किसानों की फसलें खराब हो रही है। फसल चक्र और पौषक तत्वों की कमी के साथ रासायनिक के उपयोग से लेकर बीज व अन्य चीजें इसकी बड़ी वजह सामने आ रही है।जो किसानों को बुआईसे पहले जानकारी देने के लिए फील्ड में मौजूद अमले पर सीधे सवाल खड़े कर रहे है।
जिले के हर गांव में बनी यह स्थिति
मंदसौर में वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जेके श्रीवास्तव, सहायक संचालक संजय यादव, बीएल कंडाली ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के साथ वैज्ञानिक कीट शास्त्र के डॉ. एसबी सिंह, पौध रोग के डॉ. बीके पाटीदार के अलावा अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम ने गांव पलवई सहित एक दर्जन से अधिक गांवों में पहुंचकर खेतों का निरीक्षण कर खराब फसलों की स्थिति देखी है। अमला फसलों को बचाने के लिए किसानों को जानकारियां दे रहा है। मंदसौर के अलावा भी जिले के सभी विकासखंडों के हर एक गांव में सोयाबीन पर इस रोग के प्रभाव के चलते फसल प्रभावित हो रही है। जिले में हर गांव में यह स्थिति बनी हुई है।
बढ़ते रोग का प्रमुख कारण
विशेषज्ञों के अनुसार फसल में इस रोग का प्रमुख कारण पोषक तत्वों की कमी है। इसके साथ ही किसानों द्वारा फसल चक्र को नहीं अपनाना। बीज दर अधिक एवं रासायनिक उर्वरक एवं कम्पोस्ट खाद का उपयोग कम होना भी वजह है। उपजाऊ मिट्टी और फसल के लिए खेत हल्के होना भी बड़ी वजह है। आर्द्रता एवं मौसम में आए अप्रत्याशित बदलाव के कारण फसल पीली पडऩे लगी है।
इससे बचने के सुझाव
कृषि विशेषज्ञों ने इस बीमारी से फसल को बचाने के लिए किसानों को सुझाव भी दिए है। इसमें फसल चक्र को अपनाना।अनुशासित बीज दर का उपयोग करने, ढाल के विपरीत दिशा में बुआई करने, गोबल की खाद एवं वर्मीकम्पोस्ट का अधिक उपयोग करने, गर्मी के दिनों में खेतों की गहरी जुताईकर फसल को इस रोग से बचाया जा सकता है।

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