हर जगह डॉक्टर का जाना अवलेबल नहीं
दवाई तो जो उपलब्ध होगी, वही लगेगी। बाकी अगर जरूरत पड़ी तो पशु मालिक को बाजार से खरीदकर लाना पड़ेगी और यह सेवा 24 घंटे की नहीं है। सुबह से शाम 5 बजे तक रहती है। हर जगह डॉ का जाना अवलेबल भी नहीं है। जहां जरूरत पड़ती है वहां डॉक्टरों की टीम जाती है- डॉ. मनीष इंगोले, उपसंचालक, पशुचिकित्सा
सरकारी के बाद भी प्राइवेट डॉक्टर को बुलाना पड़ रहा है
सरकार ने अगर पशुओं के इलाज के लिए निशुल्क गाड़ी चालू करी है तो इलाज तो सही होना चाहिए। आधा अधूरा इलाज हो तो फिर किस काम का सरकारी डॉक्टर बुलाने के बाद भी हमको प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराना पड़ता है। किसानों को पशुओंं के उपचार के नाम पर पैसा लग रहा है। -लाला अजमेरी, ग्रामीण बाजखेडी
इलाज के लिए जो दवा चाहिए वह नहीं है
सरकार ने पशु चिकित्साके नाम से निशुल्क सेवा की 1962 गाड़ी तो चालू कर दी है लेकिन अगर पशुओं के लिए जो इलाज है उसकी भी दवाई अगर नहीं मिले तो फिर ग्रामीण लोगों के किस काम की। पशु चिकित्सा सेवा सिर्फ नाम मात्र की है। -देवीलाल अहिरवार ग्रामीण बादरी