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मंदसौर

खानापूर्ति कर लौट रही पशु चिकित्सा की गाड़ी, पशुपालकों को नहीं मिल रही सुविधा

खानापूर्ति कर लौट रही पशु चिकित्सा की गाड़ी, पशुपालकों को नहीं मिल रही सुविधा

मंदसौरAug 06, 2019 / 11:22 am

Nilesh Trivedi

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खानापूर्ति कर लौट रही पशु चिकित्सा की गाड़ी, पशुपालकों को नहीं मिल रही सुविधा

मंदसौर.
डायल 100 की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों को के लिए शुरु की गई सुविधाओं के लिए १९६२ सुविधा पूरी तरह से चरमरा गई है। गांव में कॉल करने पर जाने वाले वाहन में दवाईयां तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे मेंं पशुपालकों को इसकी सुविधा का बेहतर लाभ नहीं मिल पा रहा है। राज्य सरकार ने ग्रामीणों के पशुओं के लिए निशुल्क 1962 नंबर की गाड़ी घर पहुंच सेवा शुरू की है, लेकिन वह सेवा दे आम नागरिक तक सही तरीके से नहीं पहुंच पा रही है। 1962 नंबर लगा कर गाड़ी बुलाता है तो सिर्फ खानापूर्ति कर पशुओं के उपचार के लिए लगाया गया यह वाहन लौट रहा है। इतना ही नहीं उपचार के लिए आने वाले स्टॉफ पशुपालको को दवाईयों की लिस्ट लिखकर पर्चा थमा रहे और बाजार से लाने की कह रहे है। यह सेवा पशु चिकित्सा के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहने का दावा भले ही किया जा रहा हो, लेकिन शाम ५ बजे बाद कॉल करने में यह वाहन उपलब्ध नहीं हो रहे है।

हर जगह डॉक्टर का जाना अवलेबल नहीं
दवाई तो जो उपलब्ध होगी, वही लगेगी। बाकी अगर जरूरत पड़ी तो पशु मालिक को बाजार से खरीदकर लाना पड़ेगी और यह सेवा 24 घंटे की नहीं है। सुबह से शाम 5 बजे तक रहती है। हर जगह डॉ का जाना अवलेबल भी नहीं है। जहां जरूरत पड़ती है वहां डॉक्टरों की टीम जाती है- डॉ. मनीष इंगोले, उपसंचालक, पशुचिकित्सा

सरकारी के बाद भी प्राइवेट डॉक्टर को बुलाना पड़ रहा है
सरकार ने अगर पशुओं के इलाज के लिए निशुल्क गाड़ी चालू करी है तो इलाज तो सही होना चाहिए। आधा अधूरा इलाज हो तो फिर किस काम का सरकारी डॉक्टर बुलाने के बाद भी हमको प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराना पड़ता है। किसानों को पशुओंं के उपचार के नाम पर पैसा लग रहा है। -लाला अजमेरी, ग्रामीण बाजखेडी

इलाज के लिए जो दवा चाहिए वह नहीं है
सरकार ने पशु चिकित्साके नाम से निशुल्क सेवा की 1962 गाड़ी तो चालू कर दी है लेकिन अगर पशुओं के लिए जो इलाज है उसकी भी दवाई अगर नहीं मिले तो फिर ग्रामीण लोगों के किस काम की। पशु चिकित्सा सेवा सिर्फ नाम मात्र की है। -देवीलाल अहिरवार ग्रामीण बादरी

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