22 जून को ओपेक देश और रूस क्रूड का प्रोडक्शन बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं। ऐसा होने पर क्रूड में बड़ी गिरावट आ सकती है और यह 60 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकता है।
•Jun 05, 2018 / 10:33 am•
Saurabh Sharma
इंटरनेशनल मार्केट में कम हुर्इ्ं क्रूड आॅयल की कीमतें, कम हो सकते हैं तेल के दाम
10 या 15 पैसे नहीं इतने रुपए कम हो सकती हैं पेट्रोल डीजल की कीमतें
नई दिल्ली। पिछले एक हफ्ते से देश में तेल की कीमतें कम हो रही हैं। पहले दिन जब कीमतें कम हुर्इ थी तो वो कीमत एक पैसा थी। अब 10 से 15 पैसे दाम कम हो रहे हैं। लेकिन कुछ दिनों में ये दाम पैसे में नहीं बल्कि रुपयों में कम हो सकते हैं। जिसका अंदाजा आप लगा भी नहीं सकते हैं। यह देश के लोगों लिए एक सरप्राइज हो सकता है। क्योंकि आने वाले दिनों में इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड आॅयल यानी कच्चे तेल की कीमतों में आैर भी गिरावट दर्ज हो सकती है। कमोडिटी एक्सपर्ट कहना है कि 22 जून को ओपेक देश और रूस क्रूड का प्रोडक्शन बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं। ऐसा होने पर क्रूड में बड़ी गिरावट आ सकती है और यह 60 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकता है। आपको बता दें कि मर्इ में क्रूड आॅयल की कीमतें 80 डाॅलर प्रति बैरल तक पहुंच गर्इ थी।
80 से 75 डाॅलर पर आया क्रूड आॅयल
इंटरनेशनल मार्केट में पिछले एक महीने में क्रूड 80.50 डॉलर प्रति बैरल से फिसलकर 75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गर्इ है। 17 मई 2018 को क्रूड नवंबर 2014 के बाद पहली बार 80 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गया था। लेकिन ओपेक देशों और रूस द्वारा क्रूड प्रोडक्शन बढ़ाए जाने के संकेत से कीमतों में गिरावट आई है। तब से अब तक इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड हाई लेवल से 6.38 फीसदी गिरकर 75.67 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है।
इस वजह से बढ़े थे क्रूड आॅयल के दाम
नवंबर 2014 के बाद पहली बार ब्रेंट क्रूड का दाम इंटरनेशनल मार्केट में 80 डॉलर के पार हो गया था। क्रूड के दाम बढ़ने के पीछे ओपेक और रूस द्वारा प्रोडक्शन में कटौती, ईरान पर अमेरिका की तरफ से प्रतिबंध के बाद सप्लाई घटने का डर आदि वजह थीं। ईरान क्रूड का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके अलावा वेनेजुएला से क्रूड ऑयल की आपूर्ति में कमी आना भी इसकी वजह थी।
अब बढ़ाया जाएगा प्रोडक्शन
जानकारों के अनुसार क्रूड प्रोडक्शन को लेकर 22 जून को ओपेक औऱ नॉन-ओपेक देशों की बैठक है। वेनेजुएला और ईरान की ओर से क्रूड सप्लाई में कमी की भरपाई के लिए ये देश प्रोडक्शन बढ़ा सकते हैं। वहीं अमरीका में क्रूड प्रोडक्शन नए हाई पर पहुंच गया है और क्रूड प्रोडक्शन में कटौती नहीं करने का भी ऐलान किया है। दूसरी आेर भारत और चीन क्रूड के सबसे बड़े कंज्यूमर हैं। चीन के जीडीपी के आंकड़े अच्छे नहीं रहे हैं। ऐसे में क्रूड की डिमांड में कमी आएगी। चीन की तरफ से डिमांड कम होने से मार्केट में क्रूड की सप्लाई बढ़ जाएगी, जिसका असर क्रूड की कीमतों पर देखने को मिलेगा।
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