पिछले पन्द्रह साल मे सबसे उच्चतम स्तर पर डीजल का दाम
वर्ष 2002 के बाद से डीजल दाम अपने उच्चतम स्तर पर है। इसके पहले उम्मीद किया जा रहा था कि डीजल के दाम मे कमी हो सकती है। डीजल के दाम बढऩे का असर सीधे तौर पर लोगों की जेब पर देखने को मिलेगा। इसके पहले सितंबर माह में तेल की कीमतो मे बढ़ोतरी के बाद से सरकार की किरकीरी हुई थी। उस समय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने उम्मीद जताया था कि जल्द ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों मे कमी आ सकती है। लेकिन इसके बाद भी पेट्रोल-डीजल के दाम मे कोई कमी नहीं आई हैै। धर्मेन्द्र प्रधान ने डीजल के दाम मे बढ़ोतरी पर कहा कि, अमेरीका मे हरीकेन तूफान के कारण हाल मे ईंधन की कीमतों मे बढ़ोतरी हुई है। जैसे ही अंतराष्ट्रीय बाजार मे कच्चे तेल के कीमत मे कमी होगी, ईंधन की कीमतो मे भी कमी आ जाएगी।
पेट्रोल का कीमत भी यही हाल है। मुंबई में पेट्रोल 2014 के बाद सबसे अधिक होते हुए 79.94 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है। वहीं दिल्ली, कोलकाता, और चेन्नई जैसे दूसरे मेट्रो शहरों मे भी पेट्रोल जनवरी के बाद अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि लोकल टैक्स के वजह से पेट्रोल और डीजल का दाम राज्यों में अलग-अलग है। दिल्ली की बात करें तो एक जुलाई के बाद से यहां पेट्रोल के दाम 7.74 रुपए प्रति लीटर और डीजल के दाम 5.74 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। भारत मे पेट्राले-डीजल के दाम कई अलग-अलग फैक्टर पर निर्भर करता है। जैसे अंतराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमत, राज्यो द्वारा लगाया गया टैक्स इत्यादि। दिल्ली मे ही पेट्रोल की रिटले कीमत पर 52 फीसदी टैक्स और डीजल पर 45 फीसदी टैक्स लगता है।
अमेरीकी तूफान के बाद कच्चे तेल की कीमत मे बढ़ोतरी
आपको बता दें कि अमेरिका मे तूफान आने के वजह से कई ऑयल रिफाइनरी के बंद होने से अंतराष्ट्रीय बाजार मे कच्चे तेल की कीमत में इजाफा हुआ है, जिसका असर भारत में भी देखने को मिल रहा है। अंतराष्ट्रीय बाजार में 1 से 25 सिंतबर के बीच कच्चे तेल की कीमत में 12 फीसदी का बढ़ोतरी हुआ है। इसके बाद अब कच्चे तेल की कीमत 59 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। हलांकि सोमवार को यह 56 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।