बैंको को इतनी मोटी चपत लगने के कई कारणों का खुलासा हुआ है। भले ही क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से लेनदेल बढ़े हों लेकिन कम एमडीआर, कार्ड का इस्तेमाल, कमजोर टेलीकॉम इंफ्रस्ट्रक्चर, जैसे कारणों से बैंको को इतना बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। पीओएस मशीनों से डेबिट और के्रडिट कार्ड का आंकड़ा अक्टूबर 2016 के 51,900 करोड़ के मुकाबले जुलाई 2017 में 68,000 करोड़ हो गया था। वहीं दिसंबर 2016 में यही आंकड़ा 89,200 करोड़ पर पहुंच गया था। भारतीय स्टेट बैंक के एक अनुमान के मुताबिक, इंटर बैंका ट्रांजैक्शन से पीओएस टर्मिनल्स पर 4700 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। ऐसे में यदि एक ही बैंक से किए गए पीओएस ट्रांजैक्शन को घटा दें तो यह कुल घाटा 3800 करोड़ रुपए हुआ। हालांकि सामान्य लेनदेन से केवल 900 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष लाभ हुआ हैं।
कार्ड और पीओस से होने वाले लेनदेन को क्या कहते हैं।
आपकों बता दें की कार्ड से किया गया भुगतान चार पक्षीय मॉडल पर काम करता है। इसमें कार्ड जारी करने वाला बैंक, अधिग्रहण करने वाला बैंक, व्यापारी, और ग्राहक शामिल होते हैं। पीओएस से लेनदेन के दौरान यदि प्रयोग किए जाने वाला कार्ड और पीओएस स्थापित करने वाला बैंक एक ही होता है तो इस प्रकार के लेनदेन को ऑन-अस कहा जाता है। वहीं इसके उलट स्थिति में ऑफ-अस लेनदेन कहा जाता हैं।