आपको बता दें की सभी दुकानों को अभी जरूरी नहीं है कि वो जीएसटी के लिए रजिस्टर्ड हो और GSTIN नंबर प्राप्त करें। लेकिन जिस भी बिल में जीएसटी लगेगा उसके लिए उन्हे CGST और SGST के नाम से दो भागों में बांटकर दिखाना होगा। वो छोटे बिजनेस जिनका सलाना टर्नओवर 20 लाख रुपए से कम है तो उन्हे जीएसटी के लिए रजिस्टर्ड नहीं करना होगा। असम, अरूणांचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड, मनीपुर, मिजोरम, सिक्किम, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा में जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए सीमा 10 लाख है।
ऐसे भी मामले आए जिसमें जीएसटी बिल पर तो CGST और SGST लगाया गया है पर उनमें कोई भी GSTIN नंबर के बारे में जानकारी नहीं दी गई हैं। इन मामलों में उनका दलील ये है कि उन्होने जीएसटी के लिए अप्लाई किया है और वो ये प्रक्रिया पूरा होने के बाद सरकार को जीएसटी से जुुटाया रकम जमा कर देंगे। लेकिन ऐसा करना गलत है और क्योंकि GSTIN के बिना किसी भी बिल पर जीएसटी नहीं लगाया जा सकता हैं।
आगे हम आपको बताने जा रहे है कि आप एक ग्राहक के तौर पर कैसे नकली जीएसटी नंबर का पहचान कर सकते हैं। किसी भी बिल पर यदि आपको संदेह होता है जो आप उसे संभाल कर रखें और नीचे दिए गए स्टेप्स पर आप इसे वेरिफाई कर सकते हैंं।
1. सबसे पहले आप जीएसटी के आधिकारिक वेबसाइट पर लॉग इन करें। https://www.gst.gov.in/
2. वेबसाइट पर लॉग इन के बाद से आप सर्च टैक्सपेयर के लिंक पर क्लिक करेंगे तो ड्रॉपडाउन मेन्यू में सर्च GSTIN/UIN पर क्लिक करेंएक्टिव है या पेंडिंग
यदि आपको एक्टिव पेंडिंग वेरिफिकेशन दिखाई दे रहा है तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। वो बिजनेस के लिए प्रोविजनल आईडी होगा। इसका मतलब ये है कि उन्होने GSTIN के लिए अप्लाई किया हुआ है।