नीति आयोग ने पेश किया रोडमैप
पहले भी नीति आयोग ने मिथेनाॅल इकोनाॅमी को लेकर एक रोडमैप सरकार को पेश किया था जिसमें अाॅटोमोटिव व हाउसहोल्ड सेक्टर के आधार पर था। मिथेनाॅल को इतना अधिक बढ़ावा देने के पीछे सरकार का मकसद र्इंधन आयात बिल को कम करना है। एक अंग्रेजी अखबार को मिली प्राप्त जानकारी के मुताबिक नीति आयोग की निगरान में इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत 20 फीसदी मिथेनाॅल को एलपीजी में मिलाया जाएगा। इसके बारे में फैसला हाल ही में नीति आयोग आैर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बीच हुर्इ बैठक में लिया गया था। कर्इ देशों में पहले से ही एलपीजी में मिथेनाॅल मिलाने का चलन है।
100 अरब डाॅलर प्रति वर्ष तक की होगी बचत
एलपीजी में मिथेनाॅल मिलाने को लेकर नीति अायोग ने जो रोडमैप पेश किया है उसके अनुसार, ट्रांसपोर्टेशन आैर कुकिंग में 15 फीसदी तक ब्लेेंडेड फ्यूल मिलाने के बाद साल 2030 तक क्रूड इंपोर्ट में 100 अरब डाॅलर प्रति वर्ष तक की कमी आ सकती है। इस योजना के तहत सरकार कम गुणवत्त के काेयले अौर दूसरे जैव संसाधनों से मिथेेनाॅल बनाया जाएगा। पहले भी भारत में सिंथेटिक तरीके से मिथेनाॅल का उत्पादन किया जाता है।
एक माह में 20 लाख टन खपत होता है एलपीजी
सब्सिडी वाले एलपीजी के लिए मौजूदा नियमों के मुताबिक सभी उपभोक्ता को एलपीजी सिलेंडर बाजार मूल्य पर खरीदना होता है। नियमों के मुताबिक एक परिवार को एक साल में सब्सिडी वाले केवल 12 सिलेंडर ही देने का प्रावधान है। इसके बाद में सब्सिडी की राशि को यूजर के खाते में भेजा जाता है। सब्सिडी की यह रकम अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क एलपीजी दर आैर फाॅरेन एक्सचेंज रेट के आधार पर तय होती हैं। भारत में एक माह में करीब 20 लाख टन एलपीजी का उपयोग होता है जिसमें बीते साढ़े चार साल से लगातार इजाफा हो रहा है।