बाजार में मजबूत रिकरवरी के चलते निफ्टी और सेंसेक्स में अक्टूबर के मुकाबले इस महीने में अबतक 9.5 फीसदी और 11 फीसदी का उछाल दर्ज किया है। हालांकि अभी भी ये विकसित मार्केट के लिहाज से कम है। एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट सूचकांक में निफ्टी का प्रदर्शन जोरदार रहा है।
वही दूसरी तरफ विधानसभा चुनावों में सत्तारुढ दल के खिलाफ परिणाम से बाजार में थोड़ा निराशा देखने को मिली। इस बीच हालंकि कॉर्पोरेट अर्निंग्स पर कोई खासा प्रभाव नही देखा गया। निफ्टी कंपनियों के नतीजों की बात करें तो ये 17 फीसदी की ग्रोथ पर रहे।
हालांकि पूरे इंडिया इंक की ग्रोथ की बात करें तो ये 1 फीसदी पर ही रहा, जिसकी मुख्य वजह कंज्युमर स्लोडाउन रही। वहीं सितंबर महीने में सेक्टर ग्रोथ की बात करें तो इसमें 5 फीसदी की गिरावट रही। जिसमें 7 से 8 सेक्टर में निगेटिव ग्रोथ दर्ज की गई। इससे साफ पता चलता है कि रिवाइवल के लिए अभी और काम करने की जरुरत है।
अब मॉनसून और कुछ राज्यों में चुनाव आने वाले है, जिसपर निगाहें टिकी है। हमें उम्मीद है कि चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार गतिरोध से अतिरिक्त वैश्विक व्यापार को प्राप्त करने के लिए भारत के पास बहुत अधिक गुंजाइश है, जो भारत के राजकोषीय संतुलन को एक और सुधार की ओर ले जा सकता है।
इसलिए, सरकार के लिए घरेलू संस्थाओं के लिए सौहार्दपूर्ण कारोबारी माहौल सुनिश्चित करना अनिवार्य है। स्थिर तेल की कीमतें, स्थिर मुद्रा दरें, अनुकूल मानसून और कम लागत वाला श्रम अभी भी भारत को अन्य उभरते बाजारों में बढ़त प्रदान करता है।
इसके अलावा, सरकार के खर्च और कम आधार में पिक-अप के कारण सीमेंट, ऑटोमोटिव और कंज्यूमर ड्यूरेबल वॉल्यूम में संभावित पिक-अप को देखते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि कॉर्पोरेट आय 2HFY20E में सुधार देखने को मिलेगा। जिसके चलते फ्यूल और इनपुट प्राइस को भी बल मिलेगा।