किसानों का मानना है कि वास्तव में गन्ना किसानों को 20 रुपए प्रति क्विंटल का नहीं बल्कि मात्र 6 रुपए प्रति क्विंटल का ही इजाफा होगा।
नई दिल्ली•Jul 19, 2018 / 12:20 pm•
Saurabh Sharma
मोदी सरकार एफआरपी के बहाने गन्ना किसानों कर रही छलावा, मात्र 6 में रुपए की होगी वृद्धि
नई दिल्ली। गन्ना किसानों के नाम पर केंद्र की बीजेपी सरकार ने काफी वोट बटोरे। खास कर यूपी चुनावों में गन्ना किसानों के भुगतान आैर उनके कीमतों में इजाफा करने के जो वादे किए गए थे। उसे सुनकर बीजेपी को यूपी में प्रचंड बहुमत दिया। लेकिन किसानों को उसका फायदा नहीं मिला। इसके विपरीत उनके साथ धोखा किया जा रहा है। ताजा मामला केंद्र द्वारा गन्ना किसानों के एफआरपी में 20 रुपए प्रति क्विंटल की जो बढ़ोत्तरी की गर्इ है। उसमें बड़ा धाेखा होने की खबर सामने आर्इ है। किसानों का मानना है कि वास्तव में किसानों को मात्र 6 रुपए प्रति क्विंटल का ही इजाफा होगा।
कुछ इस तरह बढ़ार्इ एफआरपी
केंद्र सरकार ने बुधवार को गन्ना पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्नों के लाभकारी मूल्य (एफआरपी) चालू सीजन के मुकाबले 20 रुपए बढ़ाकर 275 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया। एफआरपी की यह नई दर गन्नों की रिकवरी दर 10 फीसदी के आधार पर तय की गई है। चालू सीजन में 9.5 फीसदी रिकवरी के मानक पर सरकार ने पिछले साल गन्नों का एफआरपी 255 रुपए प्रति क्विंटल तय किया था।
अब कुछ एेसा बिगड़ा है गणित
अगर रिकवरी रेट 9.5 फीसदी को 2018-19 के लिए मानक माना जाए तो किसानों को सिर्फ 261.25 रुपए प्रति क्विंटल मिलेगा। इस प्रकार एफआरपी में वृद्धि महज 6.25 रुपए प्रति क्विं टल हुई। किसान नेताओं का कहना है कि एफआरपी में सही मायने में तीन फीसदी से भी कम वृद्धि की गई है। राष्ट्रीय किसान मजदूर पार्टी के अध्यक्ष वीएम सिंह ने कहा, “यह काफी कम है, यहां तक कि तीन फीसदी भी नहीं है जबकि बिजली, मजदूर और उर्वरक पर खर्च काफी बढ़ गया है। वृद्धि तर्कसंगत होनी चाहिए।”
सरकार का दावा
केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान के अनुसार, देश की 550 चीनी मिलों में से 295 मिलों ने ही 10 फीसदी रिकवरी रेट की रिपोर्ट की है। 82 मिलों की रिपोर्ट 9.5 फीसदी और 10 फीसदी के बीच है। मंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “अधिकतर मिलों द्वारा गन्नों से रिकवरी रेट 10 फीसदी है इसलिए हमने इसी आधार पर एफआरपी तय किया है।” उन्होंने कहा कि देश में औसत रिकवरी रेट 10.51 फीसदी है जबकि प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में रिकवरी रेट क्रमश: 10.20 फीसदी और 11.47 फीसदी है।
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