बीएसई का सेंसेक्स 329.26 अंक लुढ़ककर 26,230.66 अंक पर तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 106.10 अंक की गिरावट के साथ 8,100 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 8,086.80 अंक पर बंद हुआ।
मुंबई। इटली के यूरो क्षेत्र से बाहर जाने के पक्ष में मतदान करने की आशंका से यूरोपीय बाजार में आयी गिरावट तथा स्थानीय स्तर पर रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मार्केट स्टेबलाइजेशन स्कीम (एमएसएस) के तहत जारी बांड की सीमा बढ़ाये जाने के दबाव में आज घरेलू शेयर बाजार जबरदस्त गिरावट के साथ बंद हुये। बीएसई का सेंसेक्स 329.26 अंक लुढ़ककर 26,230.66 अंक पर तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 106.10 अंक की गिरावट के साथ 8,100 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 8,086.80 अंक पर बंद हुआ। दोनों की यह लगातार दूसरी गिरावट है।
चौतरफा बिकवाली के कारण बीएसई के सभी 20 समूह तथा सेंसेक्स में शामिल 30 में से 27 कंपनियाँ लाल निशान में बंद हुईं। मँझोली कंपनियों की तुलना में छोटी कंपनियों में ज्यादा मुनाफावसूली हुई। आरबीआई द्वारा एमएसएस बांड जारी करने की सीमा बढ़ोये जाने के बाद अब रिजर्व बैंक विशेष बांड जारी करके वित्तीय प्रणाली में आयी तरलता को हटा सकता है। विश्लेषकों की राय में पहले से ही माना जा रहा था कि इस वित्त वर्ष एमएसएस बांड की सीमा बढ़ायी जायेगी, लेकिन आरबीआई से उम्मीद से कहीं अधिक सीमा बढ़ायी है।
शेयर बाजार पर वाहनों की बिक्री में आयी सुस्ती का भी असर पड़ा है, जिससे यह कहा जा सकता है कि नोटबंदी का दबदबा अब भी सेंसेक्स और निफ्टी पर है। निवेशक अमेरिकी रोजगार आँकड़े जारी होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि वे पुष्टि कर सकें कि नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत रहेगी। वे साथ ही 13-14 दिसंबर को होने वाली बैठक में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाये जाने की उम्मीद में भी हैं।
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