रेटिंग एंजेंसी एस एंड पी ने भी अपनी रिपोर्ट में आर्थिक सुस्ती को लेकर चिंता जता चुकी है। इन सबमें सबसे बड़ी बात है कि सबने आर्थिक सुस्ती का कारण नोटबंदी और जीएसटी को ही माना है। विश्व बैंक ने चेतावनी देते हुए कहा है कि भारत में नोटबंदी औऱ जीएसटी आंतरिक कारणों से निजी निवेश सुस्त पड़ गई है जो चिंता का बड़ा कारण है।
गौरतलब है कि विश्व बैंक, अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष और एसएडंपी जैसी शीर्ष एंजेसियों का यह बयान सालाना बैठक से ठीक पहले आया है। वो भी ऐसे समय में जब वित्त मंत्री खुद इस बैठक में शामिल होने के लिए अमरीका के दौरे पर हैं।
जीएसटी से आगे और झटका
विश्व बैंक ने अपनी छमाही च्साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकसज् रिपोर्ट में कहा है कि भारत की इकोनॉमिक रफ्तार पर नोटबंदी और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लेकर अनिश्चितता का असर हुआ है। इसके चलते 2017 में ग्रोथ 7.0 फीसदी रह सकती है, जो कि 2015 में 8.6 फीसदी थी। वहीं आईएमएफ ने भी कहा है कि भारत की इकोनॉमी को नोटबंदी और जीएसटी से आगे भी तगड़ा झटका लग सकता है।
साउथ एशिया पर भी असर
विश्व बैंक ने अपने अनुमान में कहा है कि भारत की ग्रोथ रेट में सुस्ती का असर साउथ एशिया की ग्रोथ रेट पर भी होगा। इसके चलते ईस्ट एशिया एंड पैसेसिफ के बाद साउथ एशिया फिसलकर दूसरे नंबर पर आ गया है। वल्र्ड बैंक के अनुसार, रीयल जीडीपी ग्रोथ 2016 में 7.1 फीसदी रहा गई। 2015-16 में यह 8 फीसदी थी। फाइनेंशियल ईयर 2017 की पहली तिमाही में यह 5.7 फीसदी रह गई। जो अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है।
किस एंजेसी ने कितना घटाया अनुमान
एजेंसी | अनुमान घटाया |
विश्व बैंक | 8.6 से 7.0 फीसदी |
आईएमएफ | 7.2 से 6.7 फीसदी |
एस एंड पी | पॉजिटिव से निगेटिव |