मथुरा

Krishna Janmabhoomi Case: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में एक और याचिका दायर, 25 अक्टूबर को सुनवाई

Krishna Janmabhoomi Case: याचिका में कहा गया है कि कोर्ट घोषित करे कि श्रीकृष्ण जन्म सेवा संस्थान की ओर से 12 अगस्त, 1968 को शाही ईदगाह के साथ किया गया समझौता बिना क्षेत्राधिकार के किया गया था।

मथुराSep 27, 2021 / 01:30 pm

Nitish Pandey

Krishna Janmabhoomi Case: उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण विराजमान मामले को लेकर अब तक छह से अधिक याचिका सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दायर की जा चुकी हैं। सभी याचिकाओं पर न्यायालय सुनवाई कर रहा है। न्यायालय में एक और नई याचिका दायर कराई गई है। न्यायालय इस याचिका पर 25 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।
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1968 में हुई थी मंदिर-मस्जिद के बीच समझौता

मांट क्षेत्र के रहने वाले गोपाल गिरी महाराज ने भक्त होने के नाते जिला जज की अदालत में श्रीकृष्ण जन्म भूमि की 13.37 एकड़ भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने और पूर्व में 1968 की मस्जिद और मंदिर के बीच में हुए समझौते को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि पूर्व में जो समझौता किया गया है, वह गलत है। इसलिए याचिकाकर्ताओं द्वारा श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन में शाही ईदगाह मस्जिद को गलत बताया और हटाने की मांग की गई है।
25 अक्टूबर को होगी सुनवाई

याचिकाकर्ता द्वारा पहले श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर जिला जज की अदालत में याचिका को दायर किया गया। जहां जिला जज की अदालत ने मामले को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में ट्रांसफर कर दिया। साथ ही सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा, श्रीकृष्ण सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण सेवा संघ को नोटिस जारी किए हैं। न्यायालय पूरे मामले पर 25 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। उक्त मामलों की जानकारी अधिवक्ता देवकीनंदन शर्मा ने दी।
क्या है 1968 का समझौता

याचिका में कहा गया है कि कोर्ट घोषित करे कि श्रीकृष्ण जन्म सेवा संस्थान की ओर से 12 अगस्त, 1968 को शाही ईदगाह के साथ किया गया समझौता बिना क्षेत्राधिकार के किया गया था, इसलिए वह किसी पर भी बाध्यकारी नहीं है। 1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के हिंदू राजा को उस जमीन के कानूनी अधिकार सौंप दिए थे जिस पर मस्जिद खड़ी थी। 7 फरवरी 1944 को जुगल किशोर बिरला ने मदन मोहन मालवीय के कहने पर कटरा केशव देव की जमीन राजा पटनीमल के वंशजों से खरीद ली। जमीन की रजिस्ट्री गोस्वामी गणेश दत्त, मदन मोहन मालवीय और भीकनलाल अत्री के नाम से हुई।
BY : Nirmal Rajpoot

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