राख से एक महीने में बनिए लखपति और साल में करोड़पति, बस करना होगा ये काम
पित्रपक्ष में मनाया जाता है श्राद्ध पित्रपक्ष के दिनों में पूर्वजों के लिए 15 दिन तक श्राद्ध कर्म का धार्मिक कार्य किया जाता है। पुत्र या पौत्र ही श्राद्ध और तर्पण करते हैं। लेकिन महिलाएं और बेटियां भी श्राद्ध कर रही हैं। पित्रों को तृप्त करने के लिए लिए शास्त्रोक्त कर्म किए जा रहे हैं। ऐसे घर, जहां कोविड के बाद कोई पुत्र नहीं हैं, ऐसे घरों में महिलाएं श्राद्ध कर रही हैं। धर्म सिंधु और मनु स्मृति में महिलाओं को भी पिंडदान का अधिकार हैं।बेटी ने किया पिता का पिंडदान
गंगानगर निवासी तीन युवतियों के पिता मवाना स्थित सरकारी कार्यालय में कार्यरत थे। कोविड के चलते उनकी मृत्यु हो गई थी। बड़ी बेटी ने पिता की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किया। इसके अलावा सैनिक विहार निवासी एक और युवती ने अपने पिता का श्राद्ध पूरी हिंदू विधि से किया।
पत्नी ने किया पति का श्राद्ध
सैनिक विहार निवासी शिक्षिका के पति और ससुर की कोविड के दौरान मृत्यु हो गई थी। परिवार में कोई संतान नहीं होने के कारण शिक्षिका ने दोनों का श्राद्ध कर्म धार्मिक रीतिरिवाज के अनुसार किया। वह पति और ससुर की आत्मा की शांति के लिए शास्त्रों के अनुसार कर्म कर रही हैं।