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मेरठ

पित्रपक्ष विशेष: पत्नी कर रही पति का श्राद्ध तो बेटी ने पिता का पिंडदान कर निभाया बेटे का फर्ज

पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि ज्येष्ठ या कनिष्ठ पुत्र के अभाव में बहू, पत्नी को श्राद्ध करने का अधिकार है।

मेरठSep 27, 2021 / 12:42 pm

Nitish Pandey

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मेरठ. पित्रपक्ष में किया गया श्राद्ध अपने मृत पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए होता है। जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले और वे तृत्प हो सकें। लेकिन बदलते समय के साथ—साथ पित्रपक्ष में ये परंपराएं भी बदल रही हैं। कोरोना संक्रमण काल ने बहुत से ऐसे लोगों को अपनों से छीन लिया या जुदाकर दिया, जहां किसी घर में आज कोई श्राद्ध करने वाला नहीं हैं वहां पर महिलाएं इस कर्म को निभा रही हैं। यह एक अच्छी परंपरा की शुरूआत है।
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पित्रपक्ष में मनाया जाता है श्राद्ध

पित्रपक्ष के दिनों में पूर्वजों के लिए 15 दिन तक श्राद्ध कर्म का धार्मिक कार्य किया जाता है। पुत्र या पौत्र ही श्राद्ध और तर्पण करते हैं। लेकिन महिलाएं और बेटियां भी श्राद्ध कर रही हैं। पित्रों को तृप्त करने के लिए लिए शास्त्रोक्त कर्म किए जा रहे हैं। ऐसे घर, जहां कोविड के बाद कोई पुत्र नहीं हैं, ऐसे घरों में महिलाएं श्राद्ध कर रही हैं। धर्म सिंधु और मनु स्मृति में महिलाओं को भी पिंडदान का अधिकार हैं।
महिला सदस्य भी कर सकती हैं पितरों का श्राद्ध

पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि ज्येष्ठ या कनिष्ठ पुत्र के अभाव में बहू, पत्नी को श्राद्ध करने का अधिकार है। परिवार के पुरुष सदस्य के अभाव में कोई भी महिला सदस्य पितरों का श्राद्ध तर्पण कर सकती हैं। पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार वाल्मीकि रामायण में भी माता सीता के द्वारा महाराज दशरथ के पिंडदान का उल्लेख मिलता है। वनवास के समय भगवान राम, लक्ष्मण और सीता पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया पहुंचे। श्राद्ध कर्म के लिए आवश्यक सामग्री का प्रबंध करने के लिए राम और लक्ष्मण नगर की ओर चले गए। तब सीता जी ने पिंडदान किया था।

बेटी ने किया पिता का पिंडदान
गंगानगर निवासी तीन युवतियों के पिता मवाना स्थित सरकारी कार्यालय में कार्यरत थे। कोविड के चलते उनकी मृत्यु हो गई थी। बड़ी बेटी ने पिता की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किया। इसके अलावा सैनिक विहार निवासी एक और युवती ने अपने पिता का श्राद्ध पूरी हिंदू विधि से किया।

पत्नी ने किया पति का श्राद्ध
सैनिक विहार निवासी शिक्षिका के पति और ससुर की कोविड के दौरान मृत्यु हो गई थी। परिवार में कोई संतान नहीं होने के कारण शिक्षिका ने दोनों का श्राद्ध कर्म धार्मिक रीतिरिवाज के अनुसार किया। वह पति और ससुर की आत्मा की शांति के लिए शास्त्रों के अनुसार कर्म कर रही हैं।

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