8 मार्च 2017 की रात हुई इस घटना को याद करने भर से ही अमर कॉलोनी के रहने वाले लोगों की रूह कांप जाती है। इस रात कुछ बदमाश लूट के इरादे से बनवारी लाल के घर में घुस आए और सोते समय बनवारी लाल व उनकी पत्नी रविबाला के चेहरे पर ताबड़तोड़ इतने हमले किए कि उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इतना ही नहीं, बदमाशों ने मृतक की आंखों में कील गाड़कर उनकी आंखें तक निकाल ली थीं, इसके बाद वहां से लाखों का सामान लूटकर फरार हो गए थे। हैरानी की बात ये है कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी आसपास के लोगों को कानोंकान खबर तक नहीं हुई थी। घटना की जानकारी अगली सुबह तब हुई जब पड़ोस के घर में सो रहे बच्चे जागकर अपने घर पहुंचे और माता पिता को मृत अवस्था में पाया। इसके बाद पुलिस को घटना की सूचना दी गई।
अब इस घटना को ढाई साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक पुलिस मामले का खुलासा नहीं कर सकी है। पत्रिका की टीम जब इस मामले में पीड़ित बच्चों से मिलने पहुंची तो दोनों काफी भावुक हो गए। रो रोकर उन्होंने सारा हाल बताना शुरू कर दिया। मृतक दंपति के बेटे राहुल ने बताया कि आठ मार्च 2017 की काली रात को हम कभी नहीं भुला पाएंगे। उस रात हमारा परिवार अलग-अलग सोया हुआ था। मम्मी पापा घर में बनी दुकान में सोए हुए थे। मैं और छोटी बहन दीपा सामने पड़ोसी के घर और बड़ी बहन राखी दूसरे पड़ोसी के घर सोई हुई थी। उसी रात को बदमाशों ने मम्मी पापा की बेरहमी से हत्या कर दी। उनकी आंखें निकाल लीं और घर में रखा कैश और ज्वैलरी लेकर फरार हो गए।
राहुल ने बताया कि उस समय हमारे घर में तीन लाख रुपए थे। वो रुपए पापा बाजना में पुश्तैनी जमीन बेचकर लाए थे। इसके अलावा सोने की दो चेन, दो अंगूठी, मंगलसूत्र, दो चांदी की कोदनी, एक जोड़ी पाजेब, दो चांदी के हाथों के हार, दो सोने की लौंग और कई चांदी के सिक्के थे। बदमाश घर में रखा ये सारा सामान लूटकर ले गए। राहुल ने बिलखते हुए कहा कि उस रात की घटना से हमारा पूरा परिवार बिखर गया।
हम तीनों भाई बहन सड़क पर आ गए। हमारी पढ़ाई छूट गई। दाने दाने के लिए मोहताज हो गए। कभी कभार पड़ोसी खाने पीने को कुछ दे जाते तो पेट भर जाता, वर्ना भूखा ही सोना पड़ता। मां बाप की मौत के बाद न्याय पाने के लिए हम तीनों ने जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल भी की, लेकिन हर बार अधिकारियों ने जल्द खुलासा करने का दिलासा देकर शांत कर दिया। न्याय की आस में बड़ी बहन राखी ने नेताओं से लेकर अधिकारियों के कार्यालयों तक चक्कर लगाए, मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत की, लेकिन कहीं से न्याय की उम्मीद नहीं दिखी। परेशान होकर 8 अक्टूबर 2017 को राखी ने भी जहर खाकर अपनी जान दे दी।
अब परिवार में मैं और छोटी बहन दीपा हैं। घटना को ढाई साल बीत चुका है। परिवार के तीन सदस्य नहीं रहे, लेकिन हमें न्याय अब भी नहीं मिला है। यदि पुलिस इस मामले में ठीक से कार्रवाई करती तो आज हमारे माता पिता के हत्यारे जेल के अंदर होते। राहुल ने बताया कि मैं और दीपा हर दिन अपने माता पिता और बड़ी बहन राखी को याद करते हैं। घटना के बाद जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया था कि 18 साल की उम्र पूरी होने पर सरकारी नौकरी मिल जाएगी, लेकिन वो भी नहीं मिली। हम लोग मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण से भी जाकर मिले, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला और कुछ नहीं। हमें राशन कार्ड पर जो राशन मिलता है, उस राशन को बेचकर हम किसी तरह अपने घर का गुजारा कर पाते हैं। वहीं दंपति की छोटी बेटी दीपा का कहना है कि वो बड़ी होकर पुलिस अधिकारी बनना चाहती है ताकि खुद अपने माता-पिता के हत्यारों को सजा दिला सके।