यह है मान्यता
मान्यता है कि जब इंद्रदेव ने ब्रज में घनघोर वर्षा कराई थी तो भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को बचाने के लिए गिरिराज पर्वत को सात दिन सात रात तक अपनी तर्जनी ऊंगली पर उठा कर रखा था और इंद्र का मान मर्दन किया था। जिसकी खुशी में ब्रजवासियों ने छप्पन भोग का आयोजन किया था। तब से लेकर आज तक ब्रजवासी उस परम्परा का निर्वाह करते आ रहे हैं। इसी क्रम सोमवार को छप्पन भोग का आयोजन किया गया।
मान्यता है कि जब इंद्रदेव ने ब्रज में घनघोर वर्षा कराई थी तो भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को बचाने के लिए गिरिराज पर्वत को सात दिन सात रात तक अपनी तर्जनी ऊंगली पर उठा कर रखा था और इंद्र का मान मर्दन किया था। जिसकी खुशी में ब्रजवासियों ने छप्पन भोग का आयोजन किया था। तब से लेकर आज तक ब्रजवासी उस परम्परा का निर्वाह करते आ रहे हैं। इसी क्रम सोमवार को छप्पन भोग का आयोजन किया गया।
कृष्ण भक्ति में डूबे लोग
सैकड़ों की संख्या में कृष्ण भक्त अपने सिरों पर मिष्ठान व पकवान की छबरियों को बैंड बाजों की सुर लहरियों के बीच लेकर चले। इस दौरान ब्रजवासी अपने आराध्य के प्रति भाव विभोर नजर आए। इस छप्पन भोग आयोजन में सैकड़ों लोग मौजूद रहे और कान्हा की भक्ति में झूमते दिखे। वहीं छप्पन भोग स्थल पर आचार्य मनीष शर्मा ने भजन गायन किया। भजनों पर ब्रजवासी जमकर नाचे।
सैकड़ों की संख्या में कृष्ण भक्त अपने सिरों पर मिष्ठान व पकवान की छबरियों को बैंड बाजों की सुर लहरियों के बीच लेकर चले। इस दौरान ब्रजवासी अपने आराध्य के प्रति भाव विभोर नजर आए। इस छप्पन भोग आयोजन में सैकड़ों लोग मौजूद रहे और कान्हा की भक्ति में झूमते दिखे। वहीं छप्पन भोग स्थल पर आचार्य मनीष शर्मा ने भजन गायन किया। भजनों पर ब्रजवासी जमकर नाचे।
भव्य रूप से सजाया गया मंदिर
छप्पन भोग आयोजन में मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया। जिसको देखते ही बन रहा था। छप्पन भोग में आयी संध्या गुप्ता ने बताया कि वो यहां गिर्राज महाराज की परिक्रमा करने आयी थी। यहां आकर अद्धुत नजारा देखने को मिला। जिससे उनका मन आनंदित हो गया।
छप्पन भोग आयोजन में मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया। जिसको देखते ही बन रहा था। छप्पन भोग में आयी संध्या गुप्ता ने बताया कि वो यहां गिर्राज महाराज की परिक्रमा करने आयी थी। यहां आकर अद्धुत नजारा देखने को मिला। जिससे उनका मन आनंदित हो गया।