script#UPDusKaDum बांके बिहारी मंदिर के ये रहस्य जानकर हैरान रह जाएंगे आप, जानिए यहां की दस बड़ी बातें… | Dus Ka Dum 10 secret of banke bihari temple vrindavan mathura | Patrika News

#UPDusKaDum बांके बिहारी मंदिर के ये रहस्य जानकर हैरान रह जाएंगे आप, जानिए यहां की दस बड़ी बातें…

locationमथुराPublished: Aug 10, 2019 11:26:44 am

Submitted by:

suchita mishra

मथुरा के वृंदावन में है बांके बिहारी मंदिर। जानिए इस मंदिर और बांके बिहारी से जुड़ी तमाम अहम बातें।

Banke Bihari

Banke Bihari

मथुरा। मथुरा से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर वृंदावन है। वृंदावन भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली है। यहां की कुंज गलियों में भगवान कृष्ण ने तमाम लीलाएं की हैं। इसी वृंदावन केरमण रेती में राधा और कृष्णा का बांके बिहारी मंदिर बना है। इस मंदिर की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी मान्यता है। दूर दूर से भक्त यहां आकर बांके बिहारी के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। इस मंदिर से जुड़ी ऐसी तमाम रोचक बातें हैं, जिनके बारे में शायद आप न जानते हों। आइए बताते हैं आपको बांके बिहारी मंदिर की दस बड़ी बातें।
1. तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास ने की थी स्थापना

Banke Bihari
बांके बिहारी मंदिर की स्थापना स्वामी हरिदास ने की थी। स्वामी हरिदास जी प्राचीन काल के मशहूर गायक तानसेन के गुरु थे।

2. स्वयं प्रकट हुई थी मूर्ति
Banke Bihari
स्वामी हरिदास भगवान कृष्ण के भक्त थे। वे निधिवन में तमाम भजन आदि गाकर श्रीकृष्ण की भक्ति किया करते थे। उन्हें राधा कृष्ण दर्शन दिया करते थे। एक दिन वृंदावन के लोगों ने हरिदास जी से कहा कि वे भी राधा कृष्ण के दर्शन करना चाहते हैं तब हरिदास जी ने राधा कृष्ण की आराधना कर लोगों की बात उनसे कही। ध्यान व पूजन के बाद जब उन्होंने आंखें खोलीं तो इस मूर्ति को अपने समक्ष पाया था।
3. मंदिर बनने से पहले निधिवन में होती थी पूजा

Banke Bihari
मूर्ति प्राप्त होने के बाद स्वामी हरिदास ने शुरुआत में तो बांकेबिहारी जी की निधिवन में ही सेवा की। फिर जब मन्दिर का निर्माण कार्य सम्पन्न हो गया, तब उनको मंदिर में आम जनता के दर्शन के लिए स्थापित किया गया।
4. राधा कृष्ण का विग्रह रूप हैं बांके बिहारी

Banke Bihari
बांके बिहारी राधा कृष्ण का विग्रह यानी सम्मिलित रूप है। यही कारण है कि बांके बिहारीजी के श्रृंगार में आधी मूर्ति पर महिला और आधी मूर्ति पर पुरुष का श्रंगार किया जाता है।
5. मूर्ति के आगे हर दो मिनट में लगाया जाता है पर्दा

Banke Bihari
श्री बांके बिहारी जी की मूर्ति के आगे हर दो मिनट के अंतराल पर पर्दा लगाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि उनकी छवि को लगातार प्रेमपूर्वक एक टक निहारते रहने से वे भक्त की भक्ति के वशीभूत होकर उसके साथ चले जाते हैं।
6. मूर्ति की आंखों से आंखें मिलाते हैं भक्त

Banke Bihari
बांके बिहारी सिर्फ प्रेम के भूखे हैं। वहीं मान्यता है कि वे भक्त की भक्ति के वशीभूत हो जाते हैं। इसलिए इस मंदिर में आकर आंखें बंद करके पूजा नहीं की जाती, बल्कि बांके बिहारी की आंखों में आंखें डालकर उन्हें निहारा जाता है। कहा जाता है कि बांके बिहारी की मूर्ति में ऐसा आकर्षण है जो भक्त को अपनी ओर खींचता है। उसकी आंखों से स्वयं आंसू गिरने लगते हैं।
7. विहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है प्राकट्य दिवस

Banke Bihari
बांके बिहारी की मूर्ति मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को निधिवन स्थित विशाखा कुण्ड से प्रकट हुई थी। बांके बिहारी की प्राकट्य तिथि को हर साल विहार पंचमी के रूप में बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन वृंदावन में कई धार्मिक आयोजन होते है। बिहार पंचमी के दिन ही चरणामृत के स्थान पर भक्तों को पंचामृत बांटा जाता है
8. सिर्फ जन्माष्टमी पर होती मंगला आरती

Banke Bihari
बांके बिहारी जी के मंदिर में मंगला आरती साल में केवल एक दिन जन्माष्टमी को ही होती है। इस दिन बांके बिहारी जी के दर्शन सौभाग्यशाली को ही हो पाते हैं।
9. अक्षय तृतीया पर होते हैं चरण दर्शन

Banke Bihari
बांके बिहारी जी के चरण दर्शन केवल अक्षय तृतीया के दिन ही होता है। मान्यता है कि इन चरण-कमलों का जो दर्शन करता है उसका तो बेड़ा ही पार लग जाता है।
10. इसलिए कहा जाता है बांके बिहारी

Banke Bihari
भगवान कृष्ण को बांके बिहारी नाम स्वामी हरिदास ने दिया था। भगवान कृष्ण की हर मुद्रा को बांके बिहारी नहीं कहा जाता, बल्कि तीन कोण पर झुकी हुई मुद्रा वाले श्रीकृष्ण को बांके बिहारी के नाम से पुकारा जाता है। तीन कोण यानी होठों पर बांसुरी लगाए, कदम्ब के वृक्ष से कमर टिकाए और एक पैर में दूसरे को फंसाए हुई मुद्रा में श्रीकृष्ण को बांके बिहारी कहा जाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो