वास्तविक खतरा, बनावटी इंतजाम प्रशासन द्वारा बनाए गए बाढ़ सहायता केंद्र लक्ष्मी नगर के सुभाष स्कूल में प्रभारी द्वारा बताया गया कि लगभग 1000 आदमियों की आपात स्थिति में रहने, खाने, चिकित्सा और पीने के पानी की व्यवस्था की गई है। जब हमारी टीम ने मौके पर खाने पीने की चीजों को देखा तो एक थैली में थोड़े से चने और कुछ पारले जी बिस्कुट दिखाई दिए। बाढ़ सहायता केंद्र एक ऐसे कमरे में बनाया गया है। जिसकी छत का प्लास्टर गिर चुका है चारों तरफ से दीवाल फटी हुई है। देखने में ऐसा लग रहा है कि कमरा कभी भी गिर सकता है। अगर तेज बारिश होती है तो वह कमरा भी कभी भी गिर सकता है लेकिन प्रशासन ने इस गिरासू भवन को ही बाढ़ सहायता शिविर केंद्र बना दिया गया है। पीने के पानी के नाम पर टैंकर नगर निगम ने भेज दिया है, बात करें चिकित्सा की तो चिकित्सा के नाम पर एक छोटी सी कार्टून में कुछ दवाइयां और ब्ल प्रेसर नापने की मशीन ही नजर आई। मौके पर प्रभारी डॉक्टर भी नदारद मिले। अगर कोई पीड़ित आता है तो उसको लिटा कर इलाज करने के लिए कम से कम एक बेड तो होना चाहिए उसकी भी व्यवस्था वहां नहीं दिखी।
अधिकारियों के दावे अलग जब एडीएम रविंद्र कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी यमुना का पानी खतरे के निशान से नीचे है और फिर भी निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को हमारी टीम द्वारा सचेत कर दिया गया है। उनको वहां से घर छोड़कर बाढ़ सहायता केंद्र में आने के लिए तैयार किया जा रहा है ताकि कोई बाढ़ जैसी आपदा आए तो उन लोगों को फौरन वहां से निकाला जा सके। जब उनसे पूछा गया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा वहां एक बेड का भी इंतजाम नहीं किया गया है तो उन्होंने कहा कि बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम किया जा रहा है।