आयोजन की तैयारी कर रहे मोनू पंडा का कहना है कि बसंत पंचमी से वह प्रह्लाद मंदिर में तप पर बैठे हैं और पूर्णिमा (होलिका दहन) तक व्रत रखकर केवल फलाहार करेंगे। पिछले वर्ष उनके चाचा बाबूलाल जलती होलिका के बीच से निकले थे। उन्होंने बताया कि धधकती होलिका की लपटों के बीच से पंडा का निकल पाना साधना और प्रह्लाद जी की उस माला का प्रताप है जो सैकड़ों वर्ष पहले कुंड से प्रकट हुई प्रह्लाद जी के गले में थी। मोनू बताते हैं कि मूर्ति के साथ स्वयं प्रकट हुई इस माला में बड़े-बड़े 7 मनका थे, बाद में मौनी बाबा ने इन्हीं सात मनका से 108 मनका की माला तैयार कराई। मोनू बताते हैं कि कई पीढ़ियां इसी माला से महीने भर जप करने और होलिका दहन के दिन प्रह्लाद कुंड में स्नान के बाद इस माला को धारण करने के बाद ही आग की लपटों के बीच से सकुशल निकल चुके हैं।