scriptजानिए, ऊंचागांव की विवाह शिला और मेहंदी के चिन्ह का रहस्य, जहां आज भी आते हैं अश्वत्थामा | Know mystery of marriage stone and History of Unchagaon Tourist Guide | Patrika News
मथुरा

जानिए, ऊंचागांव की विवाह शिला और मेहंदी के चिन्ह का रहस्य, जहां आज भी आते हैं अश्वत्थामा

-देखिए सखी ललिता का गांव
-बरसाना सुनहरा मार्ग पर 5 किलोमीटर की दूरी पर सीधे हाथ पर स्थित है सखी ललिता का गांव।

मथुराSep 09, 2019 / 07:56 pm

अमित शर्मा

जानिए, ऊंचागांव की विवाह शिला और मेहंदी के चिन्ह का रहस्य, जहां आज भी आते हैं अश्वत्थमा

जानिए, ऊंचागांव की विवाह शिला और मेहंदी के चिन्ह का रहस्य, जहां आज भी आते हैं अश्वत्थमा

मथुरा। बरसाना के मान मंदिर के अलावा गहवर वन, सांकरी खोर के इतिहास के बाद आज हम आपको बताएंगे बरसाना से 5 किलोमीटर दूर ऊंचा गांव के बारे में। राधा की प्रधान सखी ललिता के अलावा विवाह शिला और मेहंदी के चिन्ह के बारे में आज हम आपको बताएंगे। पेश है पत्रिका की खास रिपोर्ट।
जानिए, ऊंचागांव की विवाह शिला और मेहंदी के चिन्ह का रहस्य, जहां आज भी आते हैं अश्वत्थमा
बरसाना से आगे जब हम चले तो बरसाना सुनहरा मार्ग पर 5 किलोमीटर की दूरी पर सीधे हाथ पर स्थित है सखी ललिता का गांव। यह ऊंचा गांव राधा की प्रधान सखी ललिता का है और यहां अटा पर्वत पर बना हुआ है ललिता सखी का मंदिर।
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मान्यता के अनुसार यहां भगवान श्री कृष्ण राधिका से मिलने आते थे। य़हां आज भी प्रधान सखी ललिता की भी राधा रानी के साथ प्रतिमा है। यहां से करीब आधा किलोमीटर आगे चलकर ललिता अटा पर एक शिला पर राधा कृष्ण की छवि अंकित है। यहां जो भी भक्त आता है वह राधा कृष्ण की छवि के दर्शन करता है। वहीं थोड़ी सी दूरी पर देवास जिला के साथ-साथ मेहंदी के चिन्ह आज भी मौजूद हैं देश विदेश से श्रद्धालुओं के दर्शन करने के लिए आते हैं
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यहां से दर्शन करने के बाद और यहां की मान्यता के बारे में जानने के बाद हम लोग बरसाने से छाता की तरफ चल दिए। बरसाना से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पिसावा गांव और यहां से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कदम खंडी। यह वही कदम खंडी है जहां आज भी गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा आज आते हैं और तमाम संतों को उनके दर्शन भी हुए हैं। कहा जाता है कि जब अश्वत्थामा की मणि को निकाल लिया गया था तो वह विचलित हुए और भगवान श्रीकृष्ण से उन्होंने प्रार्थना की तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें पिसावा की कदम खंडी में जाकर रहने को कहा। यहां आते ही अश्वत्थामा विचलित होना बंद हो गए आज भी यहां के लोग अश्वत्थामा की चीजों के बारे में सुनते हैं।
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