मथुरा। पूजा में 90 डिग्री पर पैर मोड़ कर लम्बे समय तक बैठना, दिनचर्या, खानपान और बदलती जीवन शैली से लोगों में जोडों में दर्द की परेशानी लगातार बढ़ रही है। भारतीय उपमहाद्वीप सहित पूरे एशिया में यह परेशानी है। लोगों में जोड़ों और हड्डियों की बीमारियों को लेकर कुछ भ्रांतिया भी हैं। अभी तक महानगरों में ही जोड़ों के प्रत्यारोण की सुविधा थी, जबकि छोटे शहरों और देहात में भी इसके मरीजों की संख्या कम नहीं है। उम्र बढने के साथ यह समस्या भी बढ़ती जाती है। इस लिए जरूरी है कि छोटे शहरों में भी इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध हों।
30-35 साल की उम्र में परेशानी ऑर्थोपेडिक्स और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के क्षेत्र के नामचीन चिकित्सक डॉ.राजीव शर्मा ने बताया कि यह समस्या हर जगह है। इसके लिए हमारी कुछ धार्मिक मान्यताएं, पूजा पद्धतियां,रहन-सहन तथा खानपीन भी जिम्मेदार है। हम अपनी आदतों में बदलाव कर इस समस्या को दूर रख सकते हैं। इसकी शुरुआत 30-35 की उम्र से हो जाती है। जानबूझ कर भी लोग शुरुआत में इस परेशानी को नजरअंदाज करते हैं, जिससे यह बढ़ती चली जाती है।
पूरे एशिया में परेशानी डॉ.राजीव शर्मा ने बताया कि वह अभी तक 6 हजार से ज्यादा ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी, 11 सौ से अधिक मोबाइल बियरिंग नी-रिप्लेसमेंट तथा करीब 650 हाईफ्लेक्शन नी-इम्प्लांटेशन के केस कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक ये इलाज काफी महंगा था लेकिन अब देश के छोटे शहरों में भी यह सुविधा पहुंच रही है। डॉ. राजीव ने कहा कि 90 के कोण पर पैर को मोड कर बैठना इस समस्या का एक बडा कराण है। लम्बे समय तक हमें इस स्थिति में नहीं बैठना चाहिए, लेकिन हमारी पूजा पद्धति सहित दूसरी आदतें कुछ ऐसी हैं कि लगभग पूरे एशिया में ही लोग इसी पोजीशन में ज्यादातर बैठते हैं। इससे यह समस्या जल्द उभर आती है। उन्होंने बताया कि वह मैट्रोसिटीज के नामीगिरामी हॉस्पीटलों में 30 साल तक प्रैक्टिस करने के बाद वह अब मथुरा में भी अपनी सेवाएं देंगे। प्रत्येक मंगलवार को वह नयति मेडसिटी में कुछ घंटे के लिए बैठेंगे।
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