scriptजम्मू-कश्मीर में आतंकी मुठभेड़ में शहीद सपूत के शब्द याद कर आंसू नहीं रोक पा रहे परिजन, जो कहा करते थे, वो वाकई करके दिखा गए… | people crying to recall words of army jawan shaheed in jammu-kashmir | Patrika News
मथुरा

जम्मू-कश्मीर में आतंकी मुठभेड़ में शहीद सपूत के शब्द याद कर आंसू नहीं रोक पा रहे परिजन, जो कहा करते थे, वो वाकई करके दिखा गए…

 
जाट रेजिमेंट के शेर कहलाते थे शहीद रामवीर सिंह। उनकी बातें याद करके उनके परिवार के लोग व दोस्त काफी भावुक भी हैं और गौरवांवित भी।

मथुराAug 03, 2019 / 11:26 am

suchita mishra

मथुरा। जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के शोपियां में गुरुवार देर रात आतंकी मुठभेड़ (Encounter) में शहीद (Martyr) हुए कोसीकलां के लाल रामवीर सिंह अक्सर अपने दोस्तों और परिवारीजनों से एक बात कहा करते थे जिसे याद कर उनके परिवार के सदस्य व दोस्त अपने आंसुओं को नहीं रोक पा रहे हैं। वे जो कहा करते थे, उसे वाकई करके दिखा गए। रामवीर जब कभी भी छुट्टी लेकर घर आते तो कहा करते थे…’मैं जाट का बेटा हूं, दुश्मनों को सीमा में घुसने नहीं दूंगा। जब कभी भी दुश्मनों से सामना होगा तो मैं सबसे आगे होउंगा और दुश्मनों का सीना छलनी कर दूंगा। बस मेरे जाने के बाद मेरे परिवार का खयाल रखना।’ उनकी शहादत की खबर के बाद से गांव में हर तरफ उनकी बातों की चर्चा है। लोगों के दिलों में उन्हें खोने का गम है तो उनकी शहादत पर गर्व भी है।
जो कहा वो करके दिखाया
रामवीर ने अपनी बातों को वाकई में चरितार्थ करके दिखा दिया। जब शोपियां में आतंकियों (Terrorists) के छिपे होने की सूचना पर देश के जाबाजों ने घेराबंदी की तो आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। सेना के जवानों ने भी जवाब देते हुए फायरिंग की तो दोनों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। इस ऑपरेशन में रामवीर सिंह (Ramveer Singh) सबसे आगे थे। उन्होंने आतंकियों के सीने को गोली से छलनी कर दिया। इस दौरान उन्हें भी गोली लगी और वे शहीद हो गए।
30 से ज्यादा ऑपरेशन का हिस्सा रहे
कोसीकलां के गांव हुलवाना के इस वीर सपूत ने 25 अप्रैल 2014 को पहली बार सेना की वर्दी पहनी थी। इसके साथ ही देश के लिए मर मिटने की कसम खा ली थी। रामवीर को 8-जाट रेजीमेंट का शेर कहा जाता था। वे अब तक आतंकियों के खिलाफ चलाए गए 30 से ज्यादा स्पेशल ऑपरेशन (Special Operation) का हिस्सा रह चुके थे। लंबे समय से उनकी पोस्टिंग कश्मीर में ही थी। आखिरी बार मई में वे छुट्टियां लेकर घर आए थे।
मां से कहता था एक दिन बेटे पर गर्व करोगी
रामवीर अक्सर अपनी मां से कहा करते थे, देख लेना मां एक दिन तुम मुझ पर गर्व करोगी। तुम्हारा बेटा देश का देश का सच्चा सिपाही बनेगा। रामवीर के अंदर देशभक्ति कूट कूटकर भरी हुई थी। वे अक्सर गांव के लड़कों को भी सेना में जाने के लिए प्रेरित किया करते थे। रामवीर के परिवार के कई सदस्य सेना में हैं। भीगी आंखों से उनके पिता कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। वे अपने पोतों को भी सेना में देश की सेवा के लिए भेजेंगे।

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