रामवीर ने अपनी बातों को वाकई में चरितार्थ करके दिखा दिया। जब शोपियां में आतंकियों (Terrorists) के छिपे होने की सूचना पर देश के जाबाजों ने घेराबंदी की तो आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। सेना के जवानों ने भी जवाब देते हुए फायरिंग की तो दोनों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। इस ऑपरेशन में रामवीर सिंह (Ramveer Singh) सबसे आगे थे। उन्होंने आतंकियों के सीने को गोली से छलनी कर दिया। इस दौरान उन्हें भी गोली लगी और वे शहीद हो गए।
कोसीकलां के गांव हुलवाना के इस वीर सपूत ने 25 अप्रैल 2014 को पहली बार सेना की वर्दी पहनी थी। इसके साथ ही देश के लिए मर मिटने की कसम खा ली थी। रामवीर को 8-जाट रेजीमेंट का शेर कहा जाता था। वे अब तक आतंकियों के खिलाफ चलाए गए 30 से ज्यादा स्पेशल ऑपरेशन (Special Operation) का हिस्सा रह चुके थे। लंबे समय से उनकी पोस्टिंग कश्मीर में ही थी। आखिरी बार मई में वे छुट्टियां लेकर घर आए थे।
रामवीर अक्सर अपनी मां से कहा करते थे, देख लेना मां एक दिन तुम मुझ पर गर्व करोगी। तुम्हारा बेटा देश का देश का सच्चा सिपाही बनेगा। रामवीर के अंदर देशभक्ति कूट कूटकर भरी हुई थी। वे अक्सर गांव के लड़कों को भी सेना में जाने के लिए प्रेरित किया करते थे। रामवीर के परिवार के कई सदस्य सेना में हैं। भीगी आंखों से उनके पिता कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। वे अपने पोतों को भी सेना में देश की सेवा के लिए भेजेंगे।