इस बारे में स्थानीय निवासी अनिल ठाकुर कहते हैं कि अनुसूचित जाति के मेयर सीट को आरक्षित करने का सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को होगा। वे आशंका जताते हुए कहते हैं कि अनुसूचित जाति का प्रत्याशी ढूंढ पाना भी भाजपा के लिए एक चुनौती साबित होगा। उनका मानना है कि सीट सामान्य होती तो भाजपा की जीत की उम्मीद ज्यादा होती।
मनीषा गुप्ता कहती हैं कि अब तक मथुरा में जो भी अध्यक्ष हुए हैं उन्होंने काफी अच्छा काम किया। लेकिन इस बार मेयर की सीट आरक्षित कर देने से थोड़ी निराशा है। पहले ही नौकरियों में आरक्षण था अब मेयर चुनाव में भी आरक्षण, ये ठीक नहीं है। उनका कहना है कि आरक्षण से राजनीति में बैठे लोगों को तो फायदा हो सकता है, लेकिन जनता के बीच ये दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
वहीं विजय बंसल कहते हैं कि ये फैसला संतोष जनक नहीं है। इसका खामियाजा भाजपा को ही उठाना होगा। विजय का कहना है कि मैंने दूसरे लोगों से भी बात की तो वे इस निर्णय से सहमत नहीं लगे। कारण पूछने पर वे कहते हैं कि भाजपा का जैसे—जैसे वर्चस्व बढ़ रहा है, वैसे—वैसे एक अंहकार विकसित हो रहा है। अपने इस फैसले से इन्होंने खुद अपनी हार की तैयारी की है।
मथुरा जनपद की अध्यक्ष पदों की आरक्ष सूची 1 मथुरा – अनुसूचित जाति
2 कोसी – प्रतीक्षारत
3 छाता – सामान्य
4 नंदगांव – अनुसूचित जाति महिला
5 बरसाना – अनुसूचित जाति महिला
6 गोवर्धन – सामान्य
7 सौंख – सामान्य
8 फरह – सामान्य
9 बलदेव – सामान्य
10 महावन – सामान्य
11 गोकुल – सामान्य
12 राया – महिला सामान्य
13 बाजना – अनुसूचित जाति
14 चौमुहां – सामान्य