पत्रिका न्यूज नेटवर्क मथुरा. Holi 2021. कृष्णकाल से ही ब्रज की होली अपने आप में अलौकिक आनंद देती रही है। कहीं फूल तो कहीं गुलाल। कहीं रसों से सराबोर प्रेमभक्ति में डूबे कृष्ण राधा के गीत। पद्म श्री मोहन स्वरूप भाटिया कहते हैं जिसे जीवन का आनंद लेना है, प्रभु की भक्ति करनी है। प्रेम सीखना है उसे एक बार जरूर ब्रज की होली देखनी चाहिए। भगवान श्री कृष्ण और राधा का अद्भभुत प्रेम ब्रज की होली में दिखता है।
भगवान श्रीकृष्ण यमुना किनारे बैठ कर दूध दही लेकर जा रही गोपियों को कभी छेड़ा करते थे। गोपियां यां मां यशोदा के समक्ष कान्हा को पकड़कर लाती थीं। शिकायतें और उलाहनें मिलती थीं लेकिन, कान्हा बार-बार गोपियों को छेड़ते थे। गोपियां श्री कृष्ण को पकड़कर उन्हें दूध, दही और माखन पोत देती थीं। तब से ब्रज में इस तरह की होली का प्रचलन शुरू हुआ। श्री कृष्ण राधा के साथ आने वाली गोपियों को छेडऩे के साथ- साथ हंसी ठिठोली करते थे। गोपियां और राधा हंसी ठिठोली का जवाब कृष्ण के ऊपर फूल उड़ेलकर देती थीं।
तब से निभाई जाती है यह परंपरा आज भी ब्रज के मंदिरों में होली प्राकृतिक फूलों से बने अबीर रंग और गुलाल के साथ फूलों से ही खेली जाती है। होली के समय ब्रज के मंदिरों में अलग ही नजारा देखने को मिलता है। राधा और कृष्ण जब छोटे थे। तब छेड़छाड़ और खेला खेली में उन्होंने एक दूसरे पर रंग भरी पिचकारी चलाई थी। तब से यह परंपरा चली आ रही है। ब्रज में राधा और कृष्ण के उसी प्रेम का रूप आज भी दिखता है। रस और रंग एक साथ बरसता है।