देवरहा बाबा के लिए कहा जाता है कि उन्होंने आजीवन अन्न ग्रहण नहीं किया। वे दूध, शहद, श्रीफल और यमुना का जल लिया करते थे। बाबा के लिए कहा जाता है कि उन्होंने कई सिद्धियां हासिल की थीं। वे एक समय में दो जगह उपस्थित हो सकते थे। इसके अलावा वे पानी के अंदर करीब आधे घंटे तक सांस रोककर रह सकते थे। वे जंगली जानवरों की भाषा को भी काफी अच्छे से समझते थे। यही कारण था कि कितना ही खतरनाक जानवर क्यों न हो, बाबा उसे पल भर में काबू कर लेते थे।
बाबा के एक शिष्य व आश्रम के महंत बड़े सरकार देवदास महाराज बताते हैं कि देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने ब्रिटिश लोगों से लेकर महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी , मुलायम सिंह यादव , लालू प्रसाद यादव और नारायण दत्त तिवारी जैसे तमाम नेता अक्सर यहां आते थे। वे बताते हैं कि बल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष का टाइटिल बाबा ने ही दिया था।
महंत बड़े सरकार देवदास महाराज ने बताया कि बाबा का नदी के किनारे बांस और बल्लियों से बना मचान था। इसकी ऊंचाई जमीन से करीब 12 फ़ीट थी। इसी मचान पर बाबा रहा करते थे। बाबा केवल स्नान के लिए नीचे आते थे और इसके बाद मचान पर ही अपने शिष्यों और भक्तों को दर्शन दिया करते थे। वे मूलरूप से देवरिया के रहने वाले थे लेकिन वर्ष 1986 में वे पूर्णत: वृन्दावन में आकर बस गए।
बाबा के लिए कहा जाता था कि वे अपने हर भक्त को प्रसाद जरूर देते थे। जब भी कोई भक्त उनके पास आता तो वे मचान में किसी भी खाली जगह पर अपना हाथ बढ़ाते और उनके हाथ में अपने आप कोई फल, मेवा या कुछ अन्य चीज आ जाती थी। जिसे वे भक्त को प्रसाद के रूप में देते थे। कहा जाता है कि इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी जब चुनाव हारी थीं तो बाबा से आशीर्वाद लेने आई थीं। बाबा के आशीर्वाद के बाद कांग्रेस प्रचंड बहुमत से चुनाव जीती।
वह अवतारी व्यक्ति थे। 19 जून सन् 1990 को योगिनी एकादशी के दिन बाबा ने अपना शरीर त्यागने का निश्चय किया। उस दिन बाबा समाधि में विलीन हो गए।