प्रधानमंत्री के आगमन के लिए तैयार किये जा रहे पाण्डाल के टैंण्ट में जर्मन हैंगर्स लगाये जा रहे हैं। दूसरी ओर 2001 में वेटरिनरी कालेज से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से विश्वविद्यालय के रूप में अस्तित्व में आया यह संस्थान महज दो करोड के सीटी स्कैनर के लिए तरस रहा है। चेन्नई संस्थान में 72 पशु चिकित्सकों का दल 140 की ओपीडी को रिकॉर्ड मानता है। वहीं यहां आधा दर्जन चिकित्सक 110 तक ओपीडी कर डालते हैं।
788 एकड़ में फैले इस विश्वविद्यालय के पास करीब 1400 एकड़ का माधुरीकुण्ड कृषि फार्म अलग से है। यहां प्रधानमंत्री आ रहे हैं और पशुपालन विभाग के पास कोई ठोस योजना नहीं है। एफएमडी टीकाकरण निःशुल्क रूप से सालों से चल रहा है। ब्रासोलासिस के टीकाकरण पर कांग्रेस सरकार में भी जोर दिया गया था लेकिन इसे अभियान नहीं बनाया गया। अभी तक विशेषज्ञ को ऐसा मॉडल नहीं दे सके हैं, जिसे किसानों की आय दोगुनी करने के मॉडल के रूप में राज्यों के सामने रखा जा सके।
देश का पहला केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय इंफाल में, दूसरा झांसी और तीसरा बिहार में है। बाद के दो विश्वविद्यालय भाजपा सरकार में ही स्थापित हुए हैं लेकिन भी तक देश में एक भी पशुधन विश्वविद्यालय स्थापित नहीं हुआ है। विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके गर्ग ने यह मामला पूर्व केन्दीय मंत्री राधामोहन और पूर्व केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के सामने रखा था। उन्होंने इस दिशा में सार्थक पहल करने का भरोसा जताया।
यह जमीन और संसाधन दोनों हैं
यदि वेटरिनरी विश्वविद्यालय को केन्द्र में रख कर भी यह कवायद होती है तो पर्याप्त जमीन और संसाधन दोनों हैं। जानकारों का कहना है कि बगैर पशुधन विकास के किसानों की आय किसी भी कीमत पर दो गुनी नहीं हो सकती।