पटाखे में मौजूद पोटैशियम क्लोरेट तेज रोशनी पैदा करता है लेकिन इसके इस्तेमाल से हवा जहरीली हो जाती है। इस केमिकल से निकलने वाले धुंएं के कारण फेफड़ों के कैंसर का खतरा होता है। अगर कोई सांस का मरीज है या किसी को फेफड़ों से जुड़ी अन्य कोई बीमारी है, तो खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाता है।
पटाखों में तेज धमाके और रोशनी के लिए गन पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके जलने पर सल्फर डाईऑक्साइड गैस बनती है। इस गैस के कारण पर्यावरण में प्रदूषण तेजी से बढ़ता है और सांस की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही ये गैस एसिड रेन (अम्लीय बारिश) का भी कारण बनती है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ता है। पर्यावरण में ज्यादा कार्बन डाइ आक्साइड के होने के कारण दमा रोगियों को भी परेशानी बढ़ सकती है। इन रोगियों को सांस में लेने में परेशानी होती है।
पटाखे में सफेद रोशनी पैदा करने के लिए एल्युमिनियम का प्रयोग किया जाता है। ये तत्व त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसके इस्तेमाल से डर्मेटाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इसके साथ ही इसके जलने से पैदा होने वाली गैस का बच्चों के दिमाग पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और वो अल्जाइमर जैसे रोगों का शिकार हो सकते हैं।
दीवाली के मौके पर पटाखों से निकलने वाली हानिकारक कार्बन मोनोऑक्साइड गैस सांस के माध्यम से गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकती है। इससे बच्चे को सांस संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कई बार शिशु में विकार भी पैदा कर सकता है। गर्भवती महिलाओं में कई हानिकारक गैसें गर्भपात का भी कारण बन सकती हैं।
दीपावली में पटाखों के धुएं से प्रदूषण बढ़ जाता है। इससे टॉक्सिन भी अत्यधिक बढ़ जाते हैं। इन टॉक्सिनों की वजह से आंखों पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। आंखों में जलन और उससे पानी आने की समस्याओं में भी बढ़ोतरी होती है। इसलिए आंखों का खास ध्यान रखें। बाहर से आने के बाद अपनी आंखों को साफ पानी से अच्छी तरह छींटे मारकर धो लें।
पटाखों में मौजूद मर्करी के कारण ऐसी गैसें निकलती हैं, जिससे सांस की बीमारियों और हाई ब्लड का खतरा बढ़ जाता है। अगर किसी को पहले से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो उनके लिए खतरे बढ़ सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए दीवाली के पटाखों से निकलने वाली गैस कई मायनों में खतरनाक हो सकती हैं। महिला के सांस के जरिए अंदर जाने वाली ये गैसें पैदा होने वाले शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा बन सकती हैं।
पटाखों से निकलने वाली हानिकारक गैसों के कारण दिल की बीमारियों की आशंका भी काफी बढ़ जाती है। जो लोग पहले से दिल के मरीज हैं, पटाखों की तेज आवाज के कारण उन्हें दिल का दौरा भी पड़ सकता है और हानिकारक गैसों के कारण सांस रुकने जैसी समस्या हो सकती है।
कई लोग ऐसा सोचते हैं कि पटाखे जितनी तेज आवाज करेंगे, उन्हें उतना मजा आएगा। मगर आपको बता दें कि पटाखों से निकलने वाली तेज आवाज कई बार लोगों को बहरा भी बना सकती है। पटाखों से निकलने वाली आवाज और रोशनी का कान के पर्दों और आंखों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।