मधुबन विधानसभा क्षेत्र के रसूलपुर आश्रम व रसूलपुर मोर्चा पर एक सप्ताह पूर्व घाघरा नदी मे पानी बढ़ने के साथ-साथ कटान शुरू हो गया है। जिससे ऐतिहासिक स्थल व आबादी के तरफ भीषण कटान होने से नदी के तटवर्ती क्षेत्र के लोगों में काफी दहशत व्याप्त है। तटवर्ती लोगों का कहना है कि शासन-प्रशासन द्वारा बाढ़ आने से पूर्व अगर कटान रोकने हेतु कोई ठोस उपाय कटान स्थल पर नहीं किया जाता हैं तो आने वाले समय में रसूलपुर आश्रम, रसूलपुर मोर्चा के तटवर्ती गांव व ऐतिहासिक धरोहरों का अस्तित्व खतरे में आ सकता है। पिछले वर्ष रसूलपुर आश्रम रसूलपुर मोर्चा व सूरजपुर तक सिंचाई विभाग द्वारा कटान रोकने हेतु बनाई गई लाखों की परियोजना को मंजूरी न मिलने से जहां किसान पूरी तरह से सदमे में है वहीं किसानों व तटवर्ती क्षेत्र के लोगों का कहना है कि हमारी पैरवी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों द्वारा न के बराबर की गई थी। जिसके कारण इस परियोजना को बजट का अभाव बताकर अगले बैठक में विचार के लिए पूर्व में टाल दिया गया। जबकि कटान से जहां प्रतिवर्ष किसान भूमिहीन होते जा रहे हैं। वहीं तटवर्ती लोगों को अपने आशियाना की चिंता पल-पल सता रही हैं। वहीं क्षेत्र के लोगों को ऐतिहासिक धरोहरों के नदी मे समाहित होने का भय दिख रहा हैं। सूरजपुर कटान परियोजना के मंजूर न होने से कटान स्धल पर बचाव हेतु कार्य न होने के चलते से वर्तमान समय मे नदी के पानी का जैसे ही दबाव बढ़ा कटान रुक रूककर शुरू हो गई।
पिछले वर्ष किसानों की सैकड़ों एकड़ भूमि नदी की धारा में विलीन हो चुकी है। रसूलपुर मोर्चा निवासी किसान पृथ्वी यादव, रामध्यान मंगलधारी, मुसाफिर यादव, रामनगीना यादव, श्यामदेव, रमाकांत कोमल सहित सैकड़ों नदी तटवर्ती लोगों ने बैठक में रसूलपुर आश्रम व मोर्चा पर इन दिनों हो रही कटान पर विस्तार से चर्चा कर सभी लोगों को इनसे होने वाली समस्याओं से अवगत कराया। वहीं सचिव बृजेश राय ने जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी से मिलकर उनकी समस्याओं को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराने का आश्वासन दिया। वहीं घाघरा नदी के तटवर्ती क्षेत्र के लोग अब कटान रोकने हेतु कटान रोको संघर्ष समिति बनाकर आंदोलन करने का मन बना रहे है।