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मऊ

किसानों की मांग सूखाग्रस्त हो यह जिला, नहीं तो होगा बड़ा आंदोलन

किसानों की मांग जनपद को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए नहीं तो करेंगे आंदोलन

मऊNov 15, 2018 / 03:37 pm

sarveshwari Mishra

Former

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मऊ. उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के मोहम्मदाबाद गोहाना तहसील पर किसानों ने जमकर हल्ला बोल प्रदर्शन किया। किसानों की मांग है कि जनपद को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए नहीं तो किसान आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। किसानों की मांग कम बारिश होने की वजह से फसलों के पैदावार में 60 फीसदी की कमी आई है जिसकी वजह से जनपद के किसानों को 100 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जिसके लिए किसान मांग कर रहे हैं कि जनपद को सूखाग्रस्त घोषित कर केंद्र और प्रदेश की सरकार किसानों को मुआवजे के रूप में 100 करोड़ उपलब्ध कराएं। जनपद में कम बारिश होने की वजह से जनपद को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर किसानों ने मोहम्दाबाद तहसील पर जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया।
किसानों ने मांग किया कि जिले में कम बारिश होने की वजह से जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए। जिले की चार तहसील मोहम्मदाबाद गोहाना, सदर तहसील, घोसी तहसील ,मधुबन तहसील है। जिसमें किसानों का कहना है कि वह जनपद की सभी तहसीलों में आंदोलन करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से पत्रक देकर का मुख्यमंत्री से जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को उठाया है जिसमें किसानों ने मोहम्दाबाद तहसील के एसडीएम को पत्र लिखा जिलाधिकारी प्रकाश बिंदु से जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए मुख्यमंत्री से मांग किया है। किसान नेता राकेश सिंह ने कहां की इस वर्ष जिले में कम बारिश हुई है जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है फसलों की पैदावार में 60 फीसदी की कमी देखने को मिली है इसलिए जनपद को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए जिसकी मांग को लेकर हम लोग एसडीएम मोहम्दाबाद को पत्र देकर जिलाधिकारी से मांग किए हैं कि वह जिले को सूखाग्रस्त घोषित कराएं इतना ही नहीं किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है क्योंकि इस वर्ष में जिले में किसानों का करीब 100 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है इसलिए हम मांग करते हैं कि किसानों को तत्काल 100 करोड रुपए सूखा राहत के नाम पर दिया जाए जिससे किसानों की हालत में सुधार हो हालांकि कम बारिश होने की वजह से किसानों के रवि की फसल की बुवाई में भी बाधा उत्पन्न हो रहा है जिससे किसान पूरी तरह से तरह त्रस्त और परेशान हैं हालांकि अगर हम किसानों की बात नहीं सुनी जाएगी तो 15 नवंबर से किसान आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन को होगी।
By- Vijay Mishra

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