जिले के घोसी ब्लाक के कस्बा क्षेत्र के कपवा मुहल्ले के रहने वाली मीना ने बताया, घोसी प्राथमिक स्वाथ्य केन्द्र पर 2015 में तत्कालीन महिला चिकित्सक माधुरी सिंह ने नसबंदी का ऑपरेशन किया था। महिला का कहना है कि अब विभागीय लापरवाही के चलते वह बच्चे को जन्म देने वाली है। ऐसे में उसके पालन पोषण की जिम्मेदारी कौन लेगा। महिला को गर्भवती होने की जानकारी तब हुई जब उसने आशा बहू के साथ जाकर महिला अस्पताल में जांच कराई।
वहीं दूसरा मामला जिले के रतनपुरा ब्लाक क्षेत्र चौडी अरदौना गांव का है। गांव निवासी अनिल की माने तो उन्होंने अपनी पत्नी की नसबंदी 2015 में महिला जिलाचिकित्सालय में करवाया था। उनका कहना है कि नसबंदी कराने के बाद पत्नी को गर्भ ठरना स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही को उजागर करता है। स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही के चलते उनकी पत्नी को तमाम परेशानिया उठानी पड़ रही है।
उनका कहना है कि शिकायत के बाद भी स्वास्थ विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे है। महिला के पति ने मांग किया है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से यह स्थिति पैदा हुई है। वो लोग गरीब है बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी अब कौन करेगा। स्वास्थ्य विभाग इसकी भरपाई करें।
वहीं इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी सतीश सिहं ने बताया कि जब कोई इस तरह का मामला प्रकाश में आता है तो उसके लिए सरकार की तरफ से तीस हजार रुपये की क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान किया गया है। हालांकि जब किसी महिला की नसबंदी की जाती है तो उससे एक प्रपत्र पर हस्ताक्क्षर करवाया जाता है। नसबंदी के बाद भी यदि महिला गर्भवती होती है तो उसे क्षतिपूर्ति दी जाएगी।