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मेरठ

यह है देश का सबसे अनोखा स्‍कूल, छाता लेकर पढ़ते हैं बच्‍चे- देखें वीडियो

बागपत के प्राथमिक विद्यालय नंबर एक में 638 बच्‍चों के लिए है केवल एक कमरा

मेरठAug 01, 2018 / 04:21 pm

sharad asthana

Baghpat School

यह है देश का सबसे अनोखा स्‍कूल, छाता लेकर पढ़ते हैं बच्‍चे

बागपत। एक तरफ योगी सरकार प्राइमरी स्कूलों को मॉडर्न स्कूल की तर्ज पर आधुनिक बनाने का दावा कर रही है। करोड़ों रुपये इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए जा रहे हैं। वहीं, इसकी जमीनी हकीकत हमें सोचने पर मजबूर कर देती है। बागपत के एक सरकारी स्कूल में अधिकारियों की अनदेखी से बच्चों की जान खतरे में है। बच्चे यहां छाता लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
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यह है डिजिटल इंडिया की तस्‍वीर

हम आपको सरकारी स्‍कूल की उस क्लास के बारे में बताते हैं, जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। इस क्‍लास की ये तस्‍वीर कोई 20 साल पुरानी नहीं है। बल्कि यह उस डिजिटल इंडिया की तस्‍वीर है, जहां सब कुछ इंटरनेट पर ही हो जाता है। अब इसको देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश का भविष्‍य कैसे माहौल में शिक्षा ले रहा है। बच्चे स्कूल की छत के नीचे भी छाता लेकर पढ़ने को मजबूर हैं।
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बागपत के प्राथमिक विद्यालय नंबर एक का मामला

दरअसल, यह मामला बागपत के प्राथमिक विद्यालय नंबर एक का है। वहां बारिश होते ही छत टपकने लगती है। छत टपकने से परेशान बच्चों को छत होते हुए भी छाता लेकर पढ़ना पड़ रहा है। आलम यह है कि जब बारिश होती है तो छात्र अपने घर से छाता लेकर आते हैं। वे कमरे में छाता लगाकर बैठने के बाद पढ़ाई करते हैं। ऐसा नहीं है कि इस समस्या की प्रसाशन से शिकायत नहीं की गई।
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638 बच्‍चों के लिए केवल एक कमरा

स्‍कूल की शिक्षिका का कहना है क‍ि स्‍कूल में 638 बच्‍चों का नामांकन है। स्‍कूल में केवल छह कमरे हैं। कहीं और व्‍यवसथा न हो पाने के कारण बच्‍चों को छाता लेकर बैठने को कहा गया था। इस बारे में उच्‍चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।
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कब तक मिलेगा छुटकारा, नहीं पता

अध्यापकों ने बारिश शुरू होने से पहले ही इसकी शिकायत की थी, लेकिन किसी भी प्रसाशनिक अधिकारी ने उनकी शिकायत का संज्ञान नहीं लिया। मामले को लेकर जब डीएम ऋषिरेंद्र कुमार से बात की गई तो उन्‍होंने कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए। उनका कहना है कि अगली बारिश से पहले मामले का निस्तारण करने के निर्देश जारी किया गया है। साथ ही दर्जनों पुरानी बिल्डिंग की शिकायतों का निपटारे पर उनको जवाब नहीं सूझा। कब तक इन बच्‍चों को टपकती क्‍लास से छुटकारा मिलेगा, यह कहना मुश्किल है।
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