बकरा बेचने वाले व्यापारियों का कहना है कि इन दिनों देशी और तोतापरी बकरे की डिमांड अधिक है। कोरोना संक्रमण के चलते जो तोतापरी बकरा पिछले साल ईद पर 90 हजार तक बिका था इस बार उसकी कीमत 70 हजार रूपये रह गई है। व्यापारियेां का कहना है कि तोतापरी बकरे का गोश्त लजीज और शरीर को रोगों से मुक्त बनाकर रखता है। ऐसे में लोग तोतापरी बकरा अधिक पसंद कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल देशी बकरे का भी है। देशी बकरा विशुद्ध देशी हो तो उसके मीट का स्वाद और मीट की तासीर गर्म होती है। कोरोना संक्रमण के चलते गोश्त के शौकीन अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए तोतापरी और विशुद्ध देशी बकरे की डिमांड कर रहे हैं।
बकरा बेचने वाले रियाज का कहना है कि तोतापरी और देशी बकरे की मांग तो बढ़ी है लेकिन को कोई इनके दाम बढाकर देने को तैयार नहीं है। यहीं कारण है कि तोतापरी इस बार 60 से 70 हजार रूपये के बीच बिक रहा है। पिछले तीन-चार दिनों में तोतापरी और देशी बकरे की डिमांड अधिक बढ़ी है जिसके कारण अब बाजार में तोतापरी खत्म हो गया है। कोरोना के कारण अब बाहर से बाकर लाकर बेच नहीं सकते।
यूनानी दवाखाने के हाजी जहीर अहमद कहते हैं कि बकरा कोई भी हो उसका गोश्त शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगर तोतापरी बकरे या विशुद्ध देशी नस्ल के बकरे का गोश्त हो तो यह गर्म होने के साथ ही शरीर में बीमारी से लड़ने की ताकत पैदा करता है। तोतापरी बकरा राजस्थानी है। राजस्थान की जलवायु ऐसी है कि वहां के जानवरों में रोग प्रतिरोधक क्षमता से लड़ने की शक्ति बहुत होती है। यूनानी दवाइयों में भी तोतापरी बकरे के काफी अंश प्रयोग किए जाते हैं, जो कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।