OMG मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना में चल रहा था अवैध नर्सिंग होम कराते थे गर्भपात
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का यूपी गेट पर पिछले 20 दिनों से डेरा डाल रखा है और वे इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। किसान उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है मगर कोई समाधान नहीं निकल पाया है। केंद्र सरकार और भाजपा इस आंदोलन पर सवाल भी उठा रही है।मानसिक तनाव झेल रहे गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के लिपिक की मौत
भाजपाई इन कानूनों को किसान की जिंदगी में बदलाव लाने वाला बता रहे हैं उनका कहना है कि जब अपने उत्पादों की कीमत तय करने का अधिकार उत्पादक को होता है तो किसानों को अपनी उपज का मूल्य तय करने का अधिकार क्यों न हो। किसानों को यही अधिकार दिलाने के लिए कानून लाए गए हैं मगर कांग्रेस और अन्य दलों से जुड़े लोग किसानों के बीच भ्रम फैलाने में लगे हैं। वास्तव में यह राजनीतिक दल किसान विरोधी हैं।बड़ाैत में सुलग सकती है हुकुमत के खिलाफ बगावत की आग
बड़ौत में सर्वखाप के चौधरियों द्वारा हाइवे पर धरना देने के बाद से सियासत गर्मा गई है। बड़ौत में इस धरने को विपक्षियों ने समर्थन देना शुरू कर दिया है। इससे हुकूमत के खिलाफ बगावत सुलग सकती है। रालोद और सपा के अलावा कांग्रेसी नेता भी बडौत पहुंचने शुरू हो गए हैं। धरने को समाप्त कराने के लिए सरकार के नुमाइंदे भी जुटे हुए हैं। लेकिन वे अपने मकसद में अभी तक सफल नहीं हुए हैं।
आईजी प्रवीण कुमार ने किसान आंदोलन के देखते हुए गाजियाबाद में डेरा डाल दिया है। आईजी प्रवीण कुमार को शासन की ओर से निर्देश मिले हैं कि वे गाजियाबाद से पल-पल की स्थिति पर नजर रखें। वहीं सभी जिलों के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।