वह बताते हैं कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने आर्सेनिक एल्बम 30 शक्ति में 3 दिन तक प्रातः खाली पेट लेने की सलाह दी है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से कोरोना से बचाव में मदद मिलेगी। कोरोना निगेटिव हो जाने के बाद भी मास्क लगाना, बार बार हाथ धोना, दो गज की दूरी बनाये रखना, भीड़-भाड़ में जाने से बचना, गुनगुना पानी पीना, संतुलित आहार लेना, विटामिन सी का प्रयोग करना और चिकित्सक द्वारा बताई गयी सलाह का पालन करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आज कल सोशल मीडिया पर कोरोना के लिए अनेक होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक नुख्से बताये जा रहें हैं। सोशल मीडिया पर बताये गयी सलाह पर अमल करना उचित नहीं है। सरकारी दिशा—निर्देशों और प्रशिक्षित चिकित्सक की सलाह से ही कोई दवाई लेनी चाहिये। कोरोना संक्रमण के बाद होने वाली जटिलताओं का उपचार होम्योपैथी में है। कोरोना संक्रमण के बाद कमजोरी, शरीर में दर्द, चक्कर आना, भूख कम लगना, याददाश्त में कमी आदि की समस्याएं हो सकती है। इसके लिए जरूरी है कि पौष्टिक भोजन लें, योग, प्राणयाम करें, दिन चर्या को नियमित करें। होम्योपैथी में इसके लिए प्रभावी औषधियाँ हैं जिनका प्रयोग चिकित्सक की सलाह पर ही करें। डायबिटीज के रोगी कोरोना वैक्सीन लगवा सकते हैं। लेकिन इस बीच वे अपनी डाइबिटीज को कंट्रोल रखें।
डा अनिरूद्ध वर्मा ने बताया कि होम्योपैथिक दवाइयाँ मेडिकल ऑक्सीजन का विकल्प नहीं हो सकती लेकिन यदि मेडिकल ऑक्सीजन के साथ प्रयोग की जाएं तो ऑक्सीजन पर निर्भरता कम हो सकती है और ऑक्सीजन लेवल बढ़ने में मदद मिल सकती है। कोरोना के उपचार में एलोपैथिक दवाईओं के साथ होम्योपैथिक दवाईओं का प्रयोग करने के बारे में उन्होंने बताया कि इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित एलोपैथिक प्रोटोकाल के साथ यदि प्रशिक्षित चिकित्सक की सलाह से होम्योपैथिक औधाधि ली जाए तो बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। होम्योपैथी में रोग नहीं रोगी की औषधि होती है, जो उसके व्यक्तिगत लक्षणों, आचार-विचार, व्यवहार, पसंद नापसंद को ध्यान में रखकर दी जाती है। कोरोना की खबरों के कारण प्रयाप्त नींद नहीं आने की शिकायतें आ रही हैं। इस पर उन्होंने कहा कि मन को शांत रखे, मधुर संगीत सुने,हल्का भोजन करें, योग व प्राणयाम करें।