यह भी पढ़े : Pandit Birju Maharaj: ताल की थापों और घुंघुरूओं की रूंझन को महारास में बदल देते थे बिरजू महाराज संगीत जगत में कथक सम्राट का योगदान स्वर्ण हस्ताक्षर बनकर हर कथक प्रेमी को प्रेरित करता रहेगा। श्रद्धांजलि सभा में सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के सभी पदाधिकारी संयोजक सुमन ए सुमन, मनमोहन भल्ला, सुमित चौहान, आचार्य वरुण, प्रमोद, आर्टिस्ट ब्रह्मदत्त शर्मा उपस्थित थे। वहीं महामंत्री डॉली गुप्ता उपाध्यक्ष संगीता पंडित मोंटू कश्यप प्रवीण गुप्ता रजनी उपस्थित रहीं।
कथक सम्राट से दो बार हुई मुलाकात का हवाला देते हुए नीता गुप्ता ने बताया कि सादगी की बिरजू महाराज जीती जागती मिसाल थे। अपने छात्रों को पंडित बिरजू महाराज अपने बच्चों की तरह मानते थे। उन्होंने कभी छात्रों पर अपनी रूचि नहीं थोपी। जिस छात्र में वो जो प्रतिभा देखते थे उसको कथक में बदलने का हुनर रखते थे। छात्र कब कथक सीख गया यह उसको भी पता नहीं चलता था। आज कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज भले ही नहीं हैं लेकन उन्होंने जो संगीत के क्षेत्र को उपलब्धियां हासिल करवाई वे हमेशा याद रहेंगी।