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मेरठ

एनकाउंटर के बाद इस बड़े मामले में फंसती दिख रही है पुलिस

2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के मामले में मेरठ पुलिस पर कई किशोरों को भी जेल भेजने का आरोप

मेरठJul 03, 2018 / 11:21 am

sharad asthana

up police

एनकाउंटर के बाद इस बड़े मामले में फंसती दिख रही है पुलिस

मेरठ। जहां एक तरफ यूपी पुलिस पर एनकाउंटर के मामले में सवाल उठ रहे हैं, वहीं 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा प्रकरण में की गई कार्रवाई पर भी व‍ह फंसती दिख रही है। मेरठ में 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में बड़े पैमाने पर उपद्रवियों में किशोर और कम उम्र के बच्चों का इस्तेमाल किया गया। परिणामस्वरूप पुलिस ने जब कार्रवाई की तो करीब 50 किशोर पुलिस ने पकड़े थे। अधिकांश तो किसी न किसी कारणों के चलते पुलिस चंगुल से छूट गए, लेकिन आरोप है कि अब भी आठ किशोरों को मेरठ की चौधरी चरण सिंह कारागार में बंद रखा गया है। मामला एससी-एसटी आयोग के संज्ञान में आने के बाद मेरठ पुलिस में हड़कंप मच गया है। एससी-एसटी आयोग ने मेरठ पुलिस से जवाब-तलब किया है कि आखिर किशोरों को किस अापराधिक जुर्म में जिला कारागार में बंद रखा गया है। उन्हें बाल संप्रेक्षण गृह में रखा जाना था। वहीं, एसपी सिटी ऐसी किसी भी जानकारी से इंकार कर रहे हैं।
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परिजनों की शिकायत के बाद खुलासा

2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान मेरठ में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने कई किशोरों को मेरठ कारागार में बंद किया था। बताया जा रहा है कि उनके परिजनों ने पहले मेरठ पुलिस और एडीजी से गुहार लगाई थी। जब कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो परिजनों ने इसकी शिकायत एससी-एसटी आयोग और शासन को भेजी थी। इस पर कमेटी का गठन हुआ और जांच शुरू हुई। बताया जा रहा है कि एससी-एसटी आयोग की टीम ने जिला कारागार का निरीक्षण किया तो वहां पर आठ किशोर बंद मिले। इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी गई है। नियमानुसार किशोरों को बाल संप्रेक्षण गृह में रखा जाना चाहिए था।
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आयोग को भेज दी गलत रिपोर्ट

आरोप है क‍ि आयोग ने किशोरों से संबंधित रिपोर्ट मेरठ प्रशासन और पुलिस ने मांगी थी, जिस पर मेरठ जिला प्रशासन और पुलिस ने आयोग को गलत रिपोर्ट भेज दी। इसमें कहा गया था कि जेल में कोई भी किशोर बंदी नहीं है। इसके बाद मेरठ कारागार में आयोग की टीम को भेजा गया था। इसमें टीम को कारागार में किशोर बंदी मिल गए थे। अब पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने कारागार में बंद किशोरों के परिजनों से कहा है कि उनके बच्चे बाल संप्रेक्षण गृह में शिफ्ट कर दिए जाएंगे। उन पर लगी सभी धाराएं भी हटा दी जाएंगी। इस बारे में जब एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्हें इस प्रकरण की जानकारी नहीं है।

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