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पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार से भी मुलायम परिवार ने बनाई दूरी, कारण जान हो जाएंगे हैरान

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार के मौके पर आज देश के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता श्रद्धांजलि देने के उपस्थित हैं ऐसे में मुलायम सिंह का परिवार इस कार्यक्रम से दूरी बनाए हुए हैं।

मेरठAug 23, 2021 / 04:42 pm

Nitish Pandey

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मेरठ. प्रदेश की सियासत के दो प्रमुख ध्रुव पहले कल्याण सिंह (Kalyan Singh) और दूसरे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) दोनों के बीच चोली दामन का साथ रहा। एक ने मुख्यमंत्री होते अयोध्या में रामभक्तों पर गोलियां चलवाई तो दूसरे ने इन्हीं रामभक्तों द्वारा विवादित ढांचे (Babri Masjid Demolition) को गिराने के बाद पूरी जिम्मेदारी खुद ली और मुख्यमंत्री (CM) की कुर्सी छोड़ दी। एक ऐसा भी समय आया जब दोनों राजनीतिक मंच पर एक दूसरे के हाथ में हाथ डाले दिखे। लेकिन आज पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh Passed Away) इस दुनिया में नहीं है।
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सपा को मुस्लिम वोटरों के नाराज होने का डर

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Ex. CM Kalyan Singh) के अंतिम संस्कार के मौके पर आज देश के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता श्रद्धांजलि देने के उपस्थित हैं ऐसे में मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) का परिवार इस कार्यक्रम से दूरी बनाए हुए हैं। कारण साफ है पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Ex. CM Kalyan Singh) के अंतिम संस्कार में शामिल होकर मुलायम (Mulayam Singh Yadav) पुत्र आगामी चुनाव (UP Assembly Election) के मद्देनजर किसी प्रकार का जोखिम नहीं मोल लेना चाहेंगे। जिस कल्याण (Ex. CM Kalyan Singh) के मुख्यमंत्री रहते विवादित ढाचा ढहाया गया और प्रदेश के साथ ही पूरे विश्व के मुस्लिमों का विरोध भाजपा (BJP) को झेलना पड़ा था। जाहिर सी बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कल्याण सिंह (Kalyan Singh) के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में भाग लेकर अपने परंपरागत मुस्लिम वोटरों (Muslim Voters) को बिल्कुल नाराज नहीं करना चाहेंगे।
सियासी मंच पर कल्याण और मुलायम ने मिलाए थे हाथ

राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) के बाद जब छह दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचा (Babri Masjid Demolition) गिराए गया तब कल्याण सिंह ही सीएम (Ex. CM Kalyan Singh) थे। इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपना इस्तीफा भी दे दिया था। हालांकि उसके बाद प्रदेश की सियासत में एक दौर ऐसा भी आया जब पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Ex. CM Kalyan Singh) की भाजपा से दूरी बनी तो उन्होंने मुलायम (Mulayam Singh Yadav) से हाथ मिलाकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सदस्यता स्वीकार कर ली थी। यह अलग बात है की वो ज्यादा दिन तक सपा में नहीं रह पाए। सपा से अलग होकर उन्होंने नई पार्टी बना ली थी।
राजनीतिक जानकार बता रहे हैं अखिलेश की बड़ी भूल

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह (Kalyan Singh Passed Away) आज नहीं हैं। सभी दलों के नेताओं ने मानवता और नैतिकता के नाते उनके आवास पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। यहां तक कि भाजपा की धुर विरोधी बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Chief Mayawati) ने भी कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। लेकिन समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) न तो लखनऊ स्थित कल्याण के आवास पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे और न नरौरा में उनके अंतिम संस्कार में उपस्थित हुए। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) के परिवार ने दूरी क्यों बनाई ये चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो एक वर्ग विशेष को साधने के कारण अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की यह एक बड़ी राजनीतिक भूल है।
राजनीति और नैतिकता में फर्क भूले अखिलेश

इस बारे में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी (Laxmikant Bajpai) का कहना है कि ऐसे समय में कम से कम एक राजनीतिक व्यक्ति को राजनीति और नैतिकता में फर्क तो समझ में आना ही चाहिए। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है की यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) है और उसे देखते हुए अखिलेश यादव ऐसा कदम उठा रहे हैं।
सपा ने दिया अखिलेश के बाहर होने का हवाला

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Ex. CM Kalyan Singh) के निधन के बाद यदि लखनऊ के सियासी गलियारे में इसी बात की चर्चा है की आखिर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कल्याण सिंह (Ex. CM Kalyan Singh) को श्रद्धांजलि देने उनके आवास पर क्यों नहीं गए। सपा के सूत्रों ने बताया कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) लखनऊ से बाहर थे लिहाजा वो जा नहीं पाए। बताया जा रहा है कि अखिलेश सैफई में थे। वहीं सपा सरकार में मंत्री रहे पूर्व विधायक शाहिद मंजूर का कहना है कि उनको इस बारे में किसी प्रकार की जानकारी नहीं है। वे कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।
सपा को है वोट बैंक की लालच

वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजीव शर्मा का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) वोट बैंक के लालच में मानवता और नैतिकता भूल रहे हैं। उन्हें कल्याण सिंह (Ex. CM Kalyan Singh) के घर जाने से परहेज नहीं करना चाहिए था। सीएम योगी (CM Yogi) भी मुलायम सिंह (Mulyam Singh Yadav) का हाल पूछने अक्सर जाते रहते हैं। एक राजनीतिक व्यक्ति को राजनीति और नैतिकता में फर्क तो दिखना ही चाहिए।

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