बता दें कि लॉकडाउन के बाद 22 मार्च से मंदिरों के कपाट कोरोना संक्रमण के चलते बंद कर दिए गए थे। इसके बाद चार चरणों में देश अनलाक हुआ लेकिन धार्मिक स्थलों के कपाट बंद ही रहे। गुरूद्वारा, गिरजाघर और मस्जिदों में भी किसी प्रकार के धार्मिक कार्य नहीं हुए। धार्मिक स्थलों पर ताले पड़े होने और लोगों को धार्मिक क्रिया कलापो की अनुमति न मिलने से करीब 5 महीने से धार्मिक स्थलों में सन्नाटा छाया हुआ था। सभी धार्मिक स्थलों में ये सन्नाटा आज सुबह पांच बजे टूट गया। जब इन सभी धार्मिक स्थलों के कपाट खुले और धर्मगुरूओं ने पूजा—पाठ शुरू किया।
इससे पहले सोमवार को रात धर्मगुरूओं के साथ एडीएम सिटी अजय तिवारी ने बैठक कर उनको कोरोना संक्रमण से बचने और लोगों को पूरे सोशल डिस्टेंस के साथ धार्मिक स्थलों में क्रिया कलापों की अनुमति देने की बात कही। एडीएम ने करीब 25 कड़े नियमों के साथ धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत दे दी।
घंटों और मूर्ति छूने पर प्रतिबंध आज से खुल रहे धार्मिक स्थलों में घंटों और मूर्तियों के छूने पर प्रतिबंध रहेगा। इसके साथ ही बिना मास्क के किसी केा भी मंदिर के भीतर आने की इजाजत नहीं दी जाएगी। सोशल डिस्टेंस का पूरा पालन करना होगा। प्रसाद इत्यादी चढाने पर भी लोगों केा प्रतिबंध लगाया गया है।
मंदिर तो खुले लेकिन भक्त कम ही दिखे 5 महीने बाद मंदिरों के कपाट तो खोल दिए गए। लेकिन मंदिरों में भीड़ कम ही दिखाई दी। हालांकि पुजारियों का कहना था कि अभी किसी को ठीक से पता नहीं है। लेकिन जैसे—जैसे लोगों केा इसकी जानकारी होगी। मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ेगी। हालांकि कोरोना के बढते संक्रमण को देखते हुए लोगों ने खुद ही धार्मिक स्थलों से दूरी बनाई हुई है।