इस पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या की साजिश का खुलासा, मुठभेड़ में पकड़े गए 3 बदमाश
हालांकि पकडे़ गए लोगों से कोई खास जानकारी हासिल नहीं हो पाती। लेकिन पकड़े जाने से पहले वे काफी जानकारियां अपने आकाओं को भेज चुके होते हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश खुराना की आरटीआइ पर गृह मंत्रालय ने जो रिपोर्ट दी थी। उसके मुताबिक आतंकियों ने पश्चिमी यूपी को अपना रहने का और साजिश रचने का ठिकाना बनाया। जबकि घटनाओं को दूसरे राज्यों में अंजाम दिया। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार बीते दो दशक में उत्तर प्रदेश में नौ आतंकी घटनाएं हुई हैं। इन दो दशकों में यहां से बड़ी संख्या में आतंकियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
पश्चिमी में आतंक का जनक अब्दुल करीम टुंडा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक के जनक के रूप में पिलखुआ निवासी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को जाना जाता है। उसे बम बनाने में महारथ हासिल थी। उसने दिल्ली तथा पंजाब में कई ट्रेनों में विस्फोट किए थे।
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बुलंदशहर में पनाह ले चुका है अबू सलेम
अबू सलेम ने भी बुलंदशहर में पनाह ली थी और चार अमेरिकी नागरिकों के अपहरण के आरोपी को भी गाजियाबाद के डासना से गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा आतंकी नफीस, इलियास सैफी, एजाज हसन, मेराज हसन को मेरठ एटीएस ने गिरफ्तार किया था। सहरानपुर के डॉ इरफान को कौन नहीं जानता। उनकी गिरफ्तारी पर सवाल भी उठे थे। लेकिन जब खुफिया विभाग ने सबूत दिखाए तो सब शांत हो गए। नकुड़ के अमीन उर्फ जुबैर, अबु रज्जाक मसूद, मोहम्मद याकूब को भी मेरठ और सहारनपुर से गिरफ्तार किया जा चुका है।
खुफिया रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी आतंकियों का ठिकाना
आईबी और अन्य गुप्तचर एजेंसियों के अनुसार देश के कई आतंकी संगठनों का ठिकाना पश्चिम उप्र बना हुआ है। बीती 19 सितंबर 2017 को आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को बड़ी सफलता मिली थी जब लखीमपुर खीरी से बब्बर खालसा गैंग के दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। उस समय एटीएस के आईजी असीम अरूण थे। एटीएस के मुताबिक दोनों के नाम सतनाम और हरप्रीत थे और दोनों संदिग्धों का संबंध नाभा जेल पटियाला, पंजाब के ब्रेककांड से रहा था। इन आतंकियों ने 2016 में जेल ब्रेक करने वाले आतंकियों को इन दोनों ने असलहा सप्लाई किया था। इससे पूर्व एटीएस की टीम ने 16 अगस्त 2017 को ही लखनऊ से बब्बर खालसा के बलवंत सिंह को पकड़ा था।
पंजाब के हथियार तस्कर मेरठ की पाॅश कालोनी गंगानगर में अपना ठिकाना बनाए हुए थे। वे यहां पर बड़ी वारदात या फिर हथियारों की बड़ी डीलिंग के लिए रूके थे। मामला मार्च 2018 का है। गंगानगर में रह रहे दोनों बदमाश सगे भाई थे। दोनों भाई पुलिस का छापा पड़ने पर अत्याधुनिक हथियार और कारतूस की खेप छोड़कर भाग गए थे। दोनों के नाम अमनजीत और हरप्रीत थे। दोनो हथियार सप्लायर और सुपारी किलर थे। दोनों पुलिस पर ऑटोमेटिक हथियार से फायर कर भागे थे।
जिस तरह से हरियाणा की सीमा से लगे शामली के झिंझाना में पुलिस के स्वचालित हथियार लूटे गए और वे पंजाब के आतंकियों को पहुंचाये जाने थे। इससे तो यहीं प्रतीत होता है कि पंजाब में फिर से आतंक पैर पसार रहा है। आतंकी आकाओं ने पश्चिमी उप्र को आपना सॉफ्ट टारगेट बनाया हुआ है।