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Weekly Rashifal: यह सप्ताह इन राशियों के लिए होगा अनुकूल आैर इनके लिए परेशानी वाला, देखें वीडियाे गुर्जर मतदाता करते हैं प्रभावित बिजनौर लोकसभा सीट को मेरठ के करीब दो लाख मतदाता प्रभावित करते हैं। इन मतदाताओं में अधिकांश गुर्जर बिरादरी से हैं। जिसमें हस्तिानपुर के अलावा उसके आसपास का खादर का क्षेत्र है। जहां पर गुर्जर बिरादरी के वोटरों की संख्या अधिक है। 2014 के चुनाव में भी भाजपा ने इस सीट पर भारी मतों से जीत दर्ज की थी। भाजपा की इस जीत में हस्तिनापुर विधानसभा के मतदाताओं की निर्णायक भागीदारी रही थी।
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VIDEO: चंद्र ग्रहण काल के दौरान मेरठ के मंदिरों में दिखा कुछ ऐसा नजारा गुर्जर उम्मीदवार पर नजर सपा-बसपा गठबंधन से बिजनौर लोकसभा सीट पर हाजी इकबाल को चुनावी तैयारी करने के संकेत दिए गए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि चंद मुस्लिम वोटों के खातिर महागठबंधन कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहेगा। इसीलिए गठबंधन किसी कद्दावर गुर्जर नेता को यहां से चुनावी मैदान में उतारने पर विचार कर रहा है।
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इंस्पेक्टर का हुआ तबादला तो सामने आया गोकशी का हैरान कर देने वाला सच मेरठ के विनय प्रधान हैं दावेदार इस सीट पर मेरठ के विनय प्रधान गुर्जर चेहरा होने के कारण प्रबल दावेदार है। विनय प्रधान खुद का और उनके परिवार का राजनैतिक रसूख रहा है। उनके बाबा रामदयाल सिंह दो बार मेरठ से ही विधायक रहे चुके हैं इसके अलावा रामदयाल सिंह मेरठ जिला को-आपरेटिक बैंक के पहले उपाध्यक्ष भी रहे हैं। उनका 50-70 के दशक में अच्छा राजनीति रसूक रहा है। अपने ही बाबा के पदचिन्हों पर चलते हुए विनय प्रधान ने भी राजनीति में अच्छा दखल रखा है। वे मेरठ कांग्रेस के दो बार जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा वे कांग्रेस एआईसीसी के सदस्य भी रहे। वह कांग्रेस से छह साल के लिए निष्कासित किए गए थे। हालांकि बिजनौर सीट पर बसपा हाजी इकबाल पर दांव खेलने का मन तो बना रही है, लेकिन वोटों के गणित के लिहाज से राजनीतिक समीकरण ठीक इसके विपरीत हैं। गुर्जर निर्णायक वोट होने के कारण कहीं इस सीट पर महागठबंधन को नुकसान न उठाना पड़े, इसलिए वह गुर्जर उम्मीदवार पर भी विचार कर सकती है। बिजनौर लोकसभा सीट में हस्तिनापुर विधानसभा के साथ ही किला परीक्षितगढ, धनपुरा के साथ ही खादर के सभी गांव आते हैं जो कि गुर्जर बाहुल्य हैं। बिजनौर सीट गुर्जर और जाट बाहुल्य मानी जाती है। हालांकि इस सीट पर दलित और मुस्लिम वोटरों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन जीत में हमेशा से जाट और गुर्जर वोटर निर्णायक रहा है। सूत्रों के अनुसार विजय प्रधान चुनाव लड़ने की इच्छा बसपा सुप्रीमो मायावती के सामने रख चुके हैं। वहीं वह बसपा के वरिष्ठ नेताओं के भी संपर्क में बने हुए हैं।