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विश्व जनसंख्या दिवस विशेषः 1847 से अब तक 1000 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ गई मेरठ की जनसंख्या

बढ़ती जनसंख्या से निपटने में संसाधनों की भी हो गई किल्लत

मेरठJul 11, 2018 / 03:22 pm

Iftekhar

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विश्व जनसंख्या दिवस विशेषः 1847 से अब तक 1000 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ गई इस शहर की जनसंख्या

मेरठ. जिस शहर की आबादी आजादी से 100 साल पहले 29014 हजार थी। 2011 की जनगणना के अनुसार वहां की आबादी बढ़कर 3443689 हो गई है। लेकिन जिस हिसाब से जिले की आबादी बढ़ी, उस लिहाज से यहां की मूलभूत सुविधाओं में वृद्धि नहीं हो सकी। इसकी वजह से बिजली, पानी, सफाई और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए इस जिले की करीब 40 प्रतिशत आबादी महरूम है। सरकारी योजनाएं भले ही तेजी से परवान चढ़ रही हों, लेकिन वे भी इन 40 प्रतिशत जनता तक पहुंचने में हांफ जाती है।

पूरे नहीं पड़ रहे उपलब्ध संसाधन
शहर जनसंख्या इस तेजी से बढ़ी है कि उसके अनुपात में शहर में उपलब्ध संसाधन भी कम पड़ते जा रहे हैं। यानी जिस तेजी से शहर की जनसंख्या बढ़ रही है, उस तेजी से शहर के संसाधनों और सुविधाओं में इजाफा नहीं हो रहा है। इसी का नतीजा है कि शहर के लोगों को मिलने वाली बुनियादी जरुरतों की पूर्ति में दिनों दिन कमी आती जा रही है। यदि इसी तेजी से जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में संसाधनों की वृद्धि हुई तो आने वाले समय में स्थिति विस्फोटक हो सकती है। शहर में विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था में साल दर-साल सुधार में इजाफे के बाद भी शहर की विद्युत आपूर्ति पूरी तरह बहाल नहीं हो पा रही है। बिजली चोरी से लेकर लाइन लॉस की समस्या अभी तक बनी हुई है। ऐसे में लगातार बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से अधिक सुधार की जरूरत है।

जनसंख्या और बिजली आपूर्ति का ये है हाल
मेरठ में करीब 2.75 लाख बिजली उपभोक्ता हैं, जिनको 1900 मिलियन यूनिट बिजली सालाना की आवश्यकता है। जबकि, जिले में बिजली की आपूर्ती 1560 मिलियन यूनिट सालाना और 430 मेगावाॅट प्रतिदिन हो रही है। जबकि जिले में प्रतिदिन 530 मेगावाॅट की डिमांड है। आपूर्ति में करीब 100 मेगावाॅट की कमी प्रतिदिन बनी रहती है। इस सौ मेगावाॅट की पूर्ति के लिए रोस्टिग और कटौती जैसे फंडे बिजली विभाग अपनाता है, जिसकी वजह से चिलचिलाती गर्मी में भी लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है।

मेरठ की जनसंख्या और पेयजल आपूर्ति
मेरठ नगर निगम यानी जिस पर करीब 34 लाख जनता को स्वच्छ पेयजल और इतने बड़ी आबादी के आसपास साफ-सफाई की जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को निभाने में नगर निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रतिदिन पसीना निकल आता है। नगर निगम की भरपूर कोशिश के बाद भी न तो शहर के नालों को सिल्ट और गंदगी मुक्त किया जा सका है और न ही शहर की सफाई व्यवस्था में सुधार है। हालत यह है कि आज भी शहर की 40 प्रतिशत आबादी गंदा अस्वच्छ पेयजल पीने को मजबूर है। मानक के अनुसार प्रति व्यक्ति को 135 लीटर पेयजल प्रतिदिन चाहिए, जबकि वर्तमान में 125 लीटर प्रति व्यक्ति पेयजल ही मिल पा रहा है। जिले के करीब 2 लाख परिवार बिना कनेक्शन पेयजल का प्रयोग कर रहे हैं।


मेरठ की जनसंख्या आंकड़ों के आईने में
2001 की जनगणना के अनुसार मेरठ की जनसंख्या 29,97,361 थी, जिसमें 1601578 पुरुष और 13,95,783 महिलाओं थी। वहीं, यह संख्या 2011 की जनगणना में 34,43,689 दर्ज की गई। जिनमें पुरुषों की संख्या 18,25,743 और महिलाओं की संख्या 1617946 थी। देश में मेरठ जनसंख्या की दृष्टि के हिसाब से 26वें स्थान पर है। 2011 में जनसंख्या घनत्व मेरठ मंडल में वर्ष प्रति वर्ग किमी 1663.6 है, जो 2031 में 2432.21 हो जाएगा, जिससे स्थिति भयावह होगी। गांव में हर चैथा और शहर में तीसरा व्यक्ति गरीब है। आजादी के बाद प्रदेश की जनसंख्या में साढ़े छह गुना वृद्धि हुई, वहीं गरीबी में ग्यारह गुना की वृद्धि हुई थी।

यह कहते हैं अर्थशास्त्री
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एके सुरेश के अनुसार मेरठ शहर में वर्ष 1951 में जनसंख्या 233183 और गरीब 45343 थे। जनसंख्या अब बढ़कर 34 लाख और गरीब 10.13 लाख हो गए। यानि वर्ष 1951 की तुलना में गरीबी में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। गांव में जनसंख्या के कारण गरीबी का यह आंकड़ा 17 प्रतिशत है।

वर्ष जनसंख्या
1847 29014
1853 82035
1872 81386
1881 99565
1891 119390
1901 118539
1911 116631
1921 122609
1931 136709
1941 169290
1951 233183
1961 983997
1971 1029981
1981 1398340
1991 1589201
2001 29,97,361
2011 34,43,689

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