नरसिंहानंद ने इस तरह रोके जाने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद के फतवे पर मौलाना से बात करना चाहते हैं। गजवा-ए-हिंद को मौलाना इस्लामिक कह रहे हैं, मैं वही समझने जा रहा था। मगर, उन कट्टरपंथी मौलानाओं के शिष्यों ने सोशल मीडिया पर इस मुलाकात को लेकर गलत बाते पोस्ट कर दीं। इससे पुलिस को लगा कि मेरे वहां जाने से माहौल खराब होगा।
यति नरसिंहानंद ने परतापुर पुलिस से कहा कि आप अपने हो इसलिए मेरी आवाज बहुत शांत है। वरना दुनिया जानती है कि दुश्मनों के सामने मेरी आवाज कैसी है? यूट्यूब खोलकर मेरे भाषण सुन लो। मेरी आवाज पता चल जाएगी। उन्होंने कहा कि आप मुझे रोक सकते हो, लेकिन यह दादागिरी है। दारुल उलूम सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी है। अगर वह हमें मारना चाहते हैं तो मैं ऐसे ही नहीं मर जाऊंगा।
इस मामले पर एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि महामंडलेश्वर से परतापुर थाने में सामान्य सवाल पूछा गया। इसके बाद उन्हें वापस भेज दिया गया है।