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मेरठ

युवक था जेल में और आरटीओ विभाग ने उसके नाम की बुलेट कर दी किसी और को ट्रांसफर

भावनपुर के औरंगाबाद रसूलपुर निवासी अहसान सैफी पुत्र इस्लामुद्दीन के अनुसार बीती 17 मई से 29 अगस्त तक वह एक पारिवारिक विवाद के चलते जिला कारागार में बंद था।

मेरठOct 01, 2018 / 09:10 pm

Rahul Chauhan

मेरठ। सरकार की लाख सख्ती के बावजूद भी आरटीओ विभाग में भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मेरठ आरटीओ कार्यालय में व्याप्त ‘दलालराज’ और भ्रष्टाचार की जड़ें भाजपा के भ्रष्टाचार मुक्त शासन में और गहरी होती जा रही हैं। इसका ताजा उदाहरण सोमवार को देखने को मिला। मामला भी औरंगाबाद निवासी युवक की ‘जेल यात्रा’ से जुड़ा है। जेल से बाहर आए युवक का कहना है कि आरटीओ के कर्मचारी ने उसकी बुुलेट बाइक गांव के निवासी एक युवक से साठगांठ करके उसके नाम कर दी। जबकि उस दौरान बाइक का मालिक जेल में था। मामले को लेकर भाजपा नेताओं ने आरटीओ कार्यालय में जमकर हंगामा किया।
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भावनपुर के औरंगाबाद रसूलपुर निवासी अहसान सैफी पुत्र इस्लामुद्दीन के अनुसार बीती 17 मई से 29 अगस्त तक वह एक पारिवारिक विवाद के चलते जिला कारागार में बंद था। अहसान के मुताबिक जेल से रिहा होने के बाद वह वापस लौटा तो उसे पता चला कि उसकी रॉयल इनफील्ड बाइक संख्या यूपी-15 बीडी-0032 गांव के रहने वाले असीम पुत्र जिलेदार ने दबंगई से हथिया ली है। इसके बाद अहसान ने आरटीओ कार्यालय में संपर्क किया तो जानकारी मिली कि बीती 17 मई को उसकी बाइक असीम के नाम ट्रांसफर भी कर दी गई।
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अहसान का कहना है कि उसने अपनी गैरमौजूदगी में बाइक को किसी अन्य के नाम पर ट्रांसफर किए जाने का विरोध किया। जिस पर आरटीओ कार्यालय के स्टाफ ने उसे यह कहकर टरका दिया कि बाइक को ट्रांसफर करने वाले संबंधित बाबू राकेश कुमार का बागपत तबादला हो चुका है और वही इस विषय में जवाब देंगे। कई दिनों से आरटीओ के चक्कर काट रहे अहसान का आरोप है कि सोमवार को एआरटीओ श्वेता ने उसे कार्यालय से बाहर निकलवा दिया। जिसके बाद अहसान के पक्ष में भाजपा नेता कुलदीप तोमर और अन्य भाजपाइयों ने आरटीओ कार्यालय में जमकर हंगामा किया। जानकारी के बाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। बात बढ़ती देख आरटीओ ने दो दिन में मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है। बताते चले कि यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी आरटीओ में इसी तरह के भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं।
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