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मिर्जापुर

भाजपा शासित नगर पालिका से गायब हुए करोड़ों के हिसाब किताब के बाद, अब चेयरमैन और डीएम हुए आमने-सामने

डीएम ने उठाए हैं नगर पालिका के कार्यों में अनियमितता और कार्यों के रेट को लेकर सवाल, चेयरमैन ने दी है जिला मुख्यालय पर सभासदों के साथ डीएम के खिलाफ धरना देने की चेतावनी।

मिर्जापुरFeb 09, 2019 / 01:10 pm

रफतउद्दीन फरीद

Manoj Jaiswal and DM Anurag Patel

मनोज जायसवाल और डीएम अनुराग पटेल

मिर्ज़ापुर. उत्तर प्रदेश में भाजपा शासित मिर्ज़ापुर नगरपालिका लगातार विवादों में घिरी हुई है। नगरपालिका से 26 करोङ रूपये के हिसाब किताब गायब होने और उसेक बाद हाल ही में चुपके से रद्दी के नाम पर फाइलें जलाए जाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है कि अब चेयरमैन मनोज जायसवाल और डीएम अनुराग पटेल में ठन गयी है। नगरपालिका चेयरमैन ने डीएम पर दबाव बनाने के लिए उन्हें विकास विरोधी कहते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और 11 फरवरी को सभासदों के साथ जिला मुख्यालय में धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी द है। वहीं डीएम ने चेयरमैन के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए। नगरपालिका के कई कामो में अनिमितता और काम के रेट को लेकर सवाल उठा दिया है।
चेयरमैन ने बाकायदा डीएम के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बाकायदा नगर पालिका में पत्रकार वार्ता कर उन्हें विकास विरोघी करार दिया। चेयरमैन की मानें तो डीएम नगर पालिका के विकास कार्यों में रोड़ा बन रहे हैं। विकास से सम्बंधित योजनाओं में गतिरोध पैदा कर रहे हैं। हालांकि डीएम इन आरोपों को गलत बताते हुए कहते हैं कि नगर पालिका को तालाब और अन्य परियोजनाओं के लिये पैसा जारी किया गया और अधिकारियों को भी पालिका के कामों पर नजर रखने के लिये लगाया गया। पालिका को पांच विभागों से पैसा दिया ज चुका है। इसके लिये बाकायदा एक समिति भी बनी हुई है, जिसमें वह खुद जनहित से सम्बंधित कामों को पालिका से करवाते हैं।
सूत्रों की मानें तो पूरा विवाद अधिकारियों पर धौस जमा कर गलत काम करवाने को लेकर बताया जा रहा है, जिसके लिए बार-बार डीएम को नगरपालिका अध्यक्ष द्वारा जुबानी धमकी दी जा रही है। इससे पहले भी कमिश्नर को पत्रक सौप कर डीएम के खिलाफ धरना देने की चेतावनी दी गयी थी, पर ऐसा किया नहीं गया। दरअसल काम दिखाने के लिए नगरपालिका एक साल पहले नगर की गलियों में बिछवाए गए इंटरलॉकिंग को उखड़वा कर वहां सीसी रोड बनवा रही है। इसके अलावा नगरपालिका के काम के रेट पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
हालांकि शासन के मानक के मुताबिक जो भी काम हो वह पीडब्ल्यूडी के रेट के बराबर होना चाहिए। तय रेट और मानक के अनुसार काम नहीं करवाये जाने की जानकारी होने पर डीएम ने पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को निरक्षण कर काम पूरे काम का ब्योरा मांग लिया, जो नगरपालिका अध्यक्ष को नागवार गुजरी है। इसी को लेकर अधिकारियों को बार-बार धमकी दी जा रही है। बतादें की पहली बार नहीं है जब नगरपालिका अध्यक्ष विवादों के नहीं रहे है। इससे पहले भी भाजपा की आपसी गुटबंदी में इनका नाम सामने आ चुका है।
By Suresh Singh

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