विंध्याचल कस्बे में ठण्ड के आगमन के साथ ही साइबेरिया की धरती को छोड़कर आने वाले विदेशी मेहमान साइबेरियन पक्षियों का बेसब्री से इंतजार स्थानीय लोगों को रहता है। विंध्याचल धाम से होकर वाराणसी की ओर बहने वाली गंगा नदी के लहरों पर इठलाते, कलरव करते मन को मोहित करते हैं। आवाज देने पर नजदीक आने वाले साइबेरियन पक्षी लोगों को अपनी ओर बरबस आकर्षित करते हैं। आवाज देने पर नजदीक आने वाले पंछियों को दर्शनार्थी चारा खिलाते हैं। नाव पर सवार लोग जलधारा पर उनके कलरव को देख खुश हो जाते हैं। सात समुद्र पार से आने वाले साइबेरियन पंछी दिसंबर के महीने में आते हैं फरवरी तक वह यहां से फिर अपने स्थान के लिए रवाना हो जाते हैं।
विदेशी पक्षियों के कलरव के बीच सफर करते हुए लोगों को उनसे मिलाने वाले नाविकों को भी उनका बेसब्री से इंतजार रहता है। इन पक्षियों के आने के साथ ही स्थानीय नाविकों की आमदनी भी बढ़ जाती है। नाविक रामलाल का कहना है कि वह अपनी आमदनी का एक हिस्सा उन्हें चारा खिलाने के लिए भी प्रयोग करते हैं। आखिर घर आए मेहमान को भूखा कैसे रखा जा सकता है। फिलहाल विंध्याचल में आने वाले इन साइबेरिया से आये पक्षी को देखने के लिए भीड़ लगी है।
By Suresh Singh