इस बंधी से इलाके के पडरिया कला,पडरिया खुर्द व अगल बगल के गांव कि तकरीब ढाई हजार बीघे खेतो में सिचाई कि जाती है। इससे पहले पांच जुलाई 2017 को हुई भारी बारिश कि वजह से यह बंधी टूट गयी। जिसकी वजह से सैकड़ो किसान की खड़ी फसल को भारी नुकसान हुआ था। ग्रामीणों ने तत्कालीन जिला अधिकारी विमल कुमार दुबे से बंधी को दुरुस्त कराने की मांग की जिस पर जिला प्रसाशन ने आनन फानन में 1 करोड़ 51 लाख रूपये हनुमान सागर व 54 लाख शिवसागर बांध के लिए धन स्वीकृत कराकर मिर्ज़ापुर सिचाईं विभाग के नहर प्रखंड को कार्य करने के लिए कार्यदाई संस्था द्वारा बनाया गया।
मानक की अनदेखी, धन की बंदरबांट
मानक की अनदेखी के चलते या फिर विभाग की मिलीभगत का नतीजा साफ दिख रहा कि हनुमान सागर बंधी की दीवार में बड़ी दरार बन गयी और दीवार से पानी का रिसाव भी तेजी से हो रहा है। इसका खतरा और सिर्फ किसानों को ही नही बल्कि पूरे ग्रामीण पर मंडरा रहा है। जहां दीवार में दरार आयी है उसी से लगभग 50 मीटर आगे किसानों के खेत में पानी जाने के लिए जो वाल लगाया गया है वह भी टूट चुका है। जबकि इस समय कोई सिचाई भी नहीं हो रही। निर्माण के सिर्फ दो महीनों अंदर करोङो कि लागत से बने इस बंधी के दरकने से स्थानीय ग्रामीण भी नाराज है। लोगों का कहना है कि बंधी बनवाने के नाम पर घन का बंदरबांट कर लिया गया, जिसके चलते मानकों की अनदेखी कर निर्माण हुआ और अब इसका खामियाजा किसान और आमजन भुगतेंगे।
पत्रिका से बात करते हुए विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष राम चन्द्र शुक्ला का कहना है। कि पूरी बंधी ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी। बंधी में लगी सीमेंट सरिया तक को ठेकेदार अधिकारियों ने मिलीभगत से गोलमाल कर लाखों रूपये की बंदरबाट कर लिया। ग्रामीणों का आरोप है कि बंधी पर जो काम मनरेगा से ग्राम प्रधान पांच लाख रुपये में करवाता वही काम सिचाई विभाग के अधिकारियों ने करोड़ों रूपये खर्च कर करवाया। अब करोड़ों रूपये के सरकारी धन के खर्च के बाद टूटी बंधी इन के निर्माण कार्य में अनिमियता की पोल खोल रही है।
सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता प्रेम किशोर सत्संगी का कहना है कि बंधी को किसी तरह के नुकसान कि बात से इनकार करते हैं। उनका कहना है की जहां पर दरार आई है वहा पर रेलिंग लगाना चाहिये था। मगर वहां पर पक्का निर्माण हो गया, जिसे ठीक करवा लिया जाएगा। फिलहाल अधिकारी चाहे जो दावे करें मगर दो महीने बाद ही बंधी के एक हिस्से में दरार यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि बंधी के निर्माण में ठेकेदारों और अफसरों कि मिलीभगत से लाखों का गोलमाल हुआ है।