मिर्जापुर के मदरसा अरबिया में हुई बैठक में ये फैसले लिये गए। संस्था के अध्यक्ष मौलाना नजम अली खान ने बताया कि शादियों में दहेज मांगने, डीजे बजाने, आतिशबाजी करने और खड़े होकर खाना खिलाने (बुफे सिस्टम) का चलन आम हो गया है। ये चीजें गैर जरूरी और फालतू खर्च होने के साथ-साथ शरियत के लिहाज से भी मुनासिब नहीं। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ अभियान और लोगों को शरियत के मुताबिक शादी करने के प्रति जागरूक करने की शरुआत मिर्जापुर से की जा रही है।
उन्होंने कहा कि अपनी जिम्मेदारी समझते हुए हम पहले लोगों को इस बारे में समझाएंगे। उसके बाद भी अगर नहीं माने तो कोई काजी शादी में निकाह नहीं पढ़ाएगा। अगर कोई पहुंच भी गया तो वह भी बिना निकाह पढ़ाए ही वापस लौट आएगा। साथ ही अगर कोई इस फैसले के खिलाफ जाकर निकाह पढ़ाता है तो उसे समाज से बहिष्कृत किया जाएगा।
मौलाना नौशाद आलम ने कहा कि इसके पीछे हमारी सोच शरीयत पर अमल करना और फिजुल खर्ची को रोकना है। जो कि इस्लाम में गलत है उससे लोगो को आगाह करना है।
By Suresh Singh