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‘ऐसा लगता है मुंबई हमले की जांच से सबक नहीं सीखा गया’

पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र ‘डॉन’ ने पठानकोट हमले की जांच के संदर्भ में कहा कि ऐसा लगता है कि मुंबई हमले की जांच से कोई सबक नहीं सीखा गया है।

मिर्जापुरFeb 18, 2016 / 03:35 am

balram singh

पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र ‘डॉन’ ने पठानकोट हमले की जांच के संदर्भ में कहा कि ऐसा लगता है कि मुंबई हमले की जांच से कोई सबक नहीं सीखा गया है। अखबार ने कहा है कि पाकिस्तान-भारत वार्ता शुरू होने के आसार हैं और इससे बेहतर नतीजों की उम्मीद लगाई जा सकती है।

इंडिया-पाकिस्तान टाक्स शीर्षक के संपादकीय में लिखा है कि दोनों देशों के बीच समग्र द्विपक्षीय वार्ता एक महीने से अधिक समय से टली हुई है, लेकिन, भारतीय उच्चायुक्त गौतम बंबावले की बातों से संकेत मिल रहा है कि दोनों तरफ के अधिकारी वार्ता के लिए सही माहौल बनाने में लगे हुए हैं।

अब भी बने हुए हैं बुनियादी सवाल
अखबार ने लिखा है, वार्ता के लिए किसी पूर्व शर्त की बात न करते हुए बंबावले ने बताया है कि दोनों देशों के विदेश सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यह तय करने में लगे हुए हैं कि वार्ता कब से शुरू की जाए। यह समय पठानकोट हमले की जांच की प्रगति से जुड़ा हो सकता है।

अखबार ने लिखा है कि पठानकोट हमले के बाद दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप न होने का फायदा तभी मिलेगा जब इसकी परिणति किसी अर्थपूर्ण सहयोग में होगी। शुरू में लगा कि तेज प्रगति हो रही है। उसके बाद सब ठंडा पड़ गया। हमले के बाद से बुनियादी सवाल अब भी बने हुए हैं।
pathankot attack

संपादकीय में कहा गया है, अभी भी पठानकोट हमले के मामले में ऐसे बुनियादी सवाल बने हुए हैं, जिनका कोई ठोस उत्तर नहीं मिला है। जैसे, हमलावर कौन थे?, क्या उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार की थी?, हमले की साजिश किसने रची थी? इन सभी सवालों के तथ्यपरक जवाब के साथ साथ कानूनी जवाब भी होने चाहिए, ताकि सरहद के दोनों तरफ इंसाफ हो सके।

अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान और भारत, दोनों में से कोई नहीं चाहता कि इस बारे में लगाई जा रही अटकलों पर सार्वजनिक रूप से विराम लगाया जाए। संपादकीय में कहा गया, दोनों देशों के संसाधनों और पठानकोट में जो कुछ हुआ, उसके महत्व को देखते हुए कहा जा सकता है कि डेढ़ महीना कम नहीं होता जिसमें दोनों देश कुछ बुनियादी बातों पर सहमत होते और इसकी जानकारी लोगों को देते। यह चिंताजनक है कि ऐसा लगता है कि 2008 के मुंबई हमले की जांच से कोई सबक नहीं सीखा गया।

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