वन भूमि के सैकड़ों एकड़ जमीन पर एस.एन. फ्लैग्स फाउंडेशन कम्पनी ने पक्के निर्माण करा लिए है। इसके अलावा दर्जनों अन्य लोगों ने सरकारी जमीन हथिया ली है और प्रशासन जांच रिपोर्ट में अवैध कब्जे के खुलासे के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि इतना बड़ा पक्का निर्माण रातोरात नहीं हो सकता। इसके लिए स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है। कोर्ट ने सचिव द्वारा भी कोई कार्यवाई न करने पर नाराजगी जाहिर की है। याचिका की सुनवाई 4 नवम्बर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति वी.के. बिड़ला ने राजेंद्र प्रसाद के नाम से स्वतः प्रेरित जनहित याचिका पर दिया है। याची ने कोर्ट में हाजिर होकर कहा कि याचिका दाखिल करने के लिए धमकाया जा रहा है। उसकी याचिका वापस करने की मांग स्वीकार करते हुए कोर्ट ने स्वयं जनहित याचिका कायम कर ली है और याची को अपनी सुरक्षा के लिए एस.पी. मिर्जापुर से सम्पर्क करने को कहा है।
याची ने याचिका दाखिल कर वन भूमि की 2500 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा हटाने की मांग की। डीएम ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि12 लोगों ने बदले में जमीन देने की अर्जी दी है। जिस पर विचार चल रहा है। जब याची ने आपत्ति की कि विपक्षी कम्पनी के पास दूसरी जमीन ही नहीं है। जो बदले में दे सके तो डीएम ने कहा 12अन्य लोगो की अर्जी है। 42.54 हेक्टेयर वन भूमि पर अवैध कब्जे में से 22.450 हेक्टेयर जमीन हथियाने वाले 12 लोगों ने बदले में जमीन देने की अर्जी दी है। कोर्ट ने सचिव को जांच कराने का आदेश दिया। कमिश्नर मिर्जापुर ने जांच की और सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे की पुष्टि की।
मड़िहान तहसील के सिकतही गांव में 11 अक्टूबर 1952 में 886 एकड़ भूमि को फारेस्ट घोषित किया गया। कोर्ट ने सचिव से कार्यवाही रिपोर्ट मांगी तो बताया एसडीएम राजस्व संहिता की धारा 67 व 101 के तहत कार्यवाही कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि डीएम ने वन भूमि पर अवैध कब्जा होने क्यों दिया? और अब कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है? कोर्ट ने सचिव को अतिक्रमण हटाने व अधिकारियों पर कार्यवाई कर कोर्ट को सूचित करने का आदेश दिया है।
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